Hindi, asked by maitri4689, 9 months ago

लुब्धस्य नश्यति यशः पिशुनस्य मैत्री
नष्टक्रियस्य कुलमर्थपरस्य धर्मः।
विद्याफलं व्यसनिनः कृपणस्य सौख्यं
राज्यं प्रमत्तसचिवस्य नराधिपस्य ।।3।।​

Answers

Answered by riya236680
94

Answer:

लोभी मनुष्य का यश , चुगलखोर की मित्रता , अकर्मण्य का कुल , धन के लोभी व्यक्ति का धर्म , बुरी लत वाले व्यक्ति की विद्या , कंजूस का सुख, आलसी मंत्रियों वाले राजा का राज्य नष्ट हो जाता है।

hope it helps.

Answered by shishir303
20

लुब्धस्य नश्यति यशः पिशुनस्य मैत्री

नष्टक्रियस्य कुलमर्थपरस्य धर्मः।

विद्याफलं व्यसनिनः कृपणस्य सौख्यं ।

राज्यं प्रमत्तसचिवस्य नराधिपस्य ।।

भावार्थ : किसी लालची व्यक्ति का यश, किसी चुगलखोर की दोस्ती, किसी कर्महीन व्यक्ति का कुल और जो व्यक्ति लालची होता है, उसका धर्म नष्ट हो जाता है वैसे ही अन्य बुरी आदतों वाले का विद्याफल, कंजूस आदमी का सुख नष्ट हो जाता है। जिस राजा का प्रधानमंत्री मदमस्त हो उस राज्य को शीघ्र नष्ट हो जाना।

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