लाभों का वितरण
हर्षद एवं धीमान 01 अप्रैल, 2016 से साझेदार हैं। इनके बीच कोई साझेदारी समझौता हस्ताक्षरित नहीं किया है। दोनों ने क्रमशः रु. तथा रु. पूँजी के रूप में लगाएँ हैं। इसके साथ ही हर्षद ने 01 अक्तूबर, 2016 को, रु, अग्रिम राशि लगाई है। अस्वस्थ होने के कारण हर्षद 01 अगस्त से 30 सितंबर, 2016 तक व्यवसाय में भाग नहीं ले सका। वर्ष के अंत में 31 मार्च, 2017 में फर्म को रु. का लाभ प्राप्त हुआ। लेकिन निम्न बातों के लिए हर्षद एवं धीमान के बीच विवाद पैदा हो गया।
हर्षद का दावा है:
(i) उसे अपनी पूँजी एवं दिए गए ऋण पर प्रति वर्ष की दर से ब्याज मिलना चाहिए ।
(ii) लाभ को पूँजी के अनुपात में वितरित किया जाना चाहिए।
धीमान का दावा है:
(i) लाभ का वितरण एक समान होना चाहिए;
(ii) हर्षद की अनुपस्थिति में व्यवसाय अकेले चलाने के लिए उस अवधि का पारिश्रमिक रु. प्रतिमाह की दर से मिलना चाहिए।
(iii) पूँजी एवं ऋण पर प्रतिवर्ष की दर ब्याज अनुमत किया जाना चाहिए।
आप से यह अपेक्षा की जाती है कि हर्षद एवं धीमान के बीच विवाद हल करें। इसके साथ ही लाभ एवं हानि विनियोग खाता तैयार करें।
(उत्तर : लाभ में हर्षद का भाग रु, लाभ में धीमान का भाग रु.)
Answers
मुनाफे का वितरण
हर्षद का दावा:
निर्णय
(i) यदि साझेदार की पूंजी पर ब्याज पर कोई समझौता नहीं है, तो भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 के अनुसार, भागीदारों को कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा।
(ii) यदि लाभ के बंटवारे के मामले में कोई समझौता नहीं है, तो साझेदारी अधिनियम 1932 के अनुसार, लाभ समान रूप से वितरित किया जाएगा।
धीमान का दावा:
निर्णय
(i) धीमान का दावा उचित है, साझेदारी अधिनियम 1932 के अनुसार यदि लाभ वितरण के मामले में कोई समझौता नहीं है, तो लाभ को समान रूप से वितरित किया जाएगा।
(ii) किसी भी साथी को कोई वेतन नहीं दिया जाएगा क्योंकि पारिश्रमिक के मामले में कोई समझौता नहीं है।
(iii) धीमान का दावा पूंजी पर ब्याज के मामले में उचित नहीं है, लेकिन ऋण पर ब्याज के मामले पर उचित है। यदि साझेदार के ऋण पर ब्याज पर कोई समझौता नहीं है, तो ब्याज 6% प्रतिवर्ष पर प्रदान किया जाएगा।
लाभ एवं हानि विनियोग खाता और लाभ और हानि खाता निम्नानुसार है |
इसप्रकार लाभ में हर्षद का भाग 88,500 रु, लाभ में धीमान का भाग 88,500 रु. है |