लोभ पाप को मुल है लोभ मिटावत मान ,लोभ नही कीजिए यामै नरक निदान।
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सप्रसंग व्याख्या कीजिए : (क) लोभ पाप को मूल है, लोभ मिटावत मान । लोभ कभी नहीं कीजिए, यामै नरक निदान ।। अथवा तुम मालव हो और यह मागध, यही तुम्हारे मान का अवसान है न ? परंतु आत्म-सम्मान इतने से ही संतुष्ट नहीं होगा ।
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