लाभ
प्रभाव
2. पुस्तकों का महत्व
विचार-बिंदु : * लाभ * प्रभाव * पुस्तके किसी देश की अमर
निधि होती है * पुस्तकें अस्त्र है * मनुष्य का मित्र
पुस्तकों का महत्त्व तथा मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि
रत्न बाहरी चमक-दमक दिखाते हैं, जबकि पुस्तकें हृदय को उपचन करती
हैं। अच्छी पुस्तकें मनुष्य को पशु से देवता बनाती है, उसकी सात्विक,
वृत्तियों को जागृत कर उसे पथभ्रष्ट होने से बचाती है। श्रेष्ठ पुस्तके मनुष्य,
समाज तथा राष्ट्र का मार्गदर्शन करती हैं। पुस्तकों का हमारे मन मस्तिष्क
पर स्थायी प्रभाव पड़ता है।
संसार के इतिहास पर दृष्टिपात करने पर देखते है कि जितनी
भी महान विभूतियाँ हुई हैं, उन पर किसी-न-किसी अंश में अच्छी पुस्तकों
का प्रभाव था। महात्मा गांधी भगवद्गीता, टालस्टाय तथा अमेरिका के अंत
थोरो के साहित्य से अत्यधिक प्रभावित थे। लेनिन में क्रांति की भावना
मार्क्स के साहित्य को पढ़कर जगी थी।
पुस्तकें किसी देश की अमर निधि होती हैं,
अथवा अपकर्ष का पता उसके साहित्य से चलता है। प्राचीन ग्रीक संस्कृति
कितनी उच्च और महान थी, इसका पता हमें उसके साहित्य से चलना
है। गुप्तकाल भारत का स्वर्णिम युग कहा जाता है क्योंकि उस काल
में सर्वोत्कृष्ट पुस्तकों की रचना हुई। कालिदास इस युग के महान
साहित्यकार थे।
पुस्तकें अस्त्र हैं विचारों के युद्ध में पुस्तकें ही अस्त्र हैं। पुस्तकों
में लिखे विचार संपूर्ण समाज की काया पलट देते हैं। समाज में जब भी
कोई परिवर्तन आता है अथवा क्रांति उपस्थित होती है, उसके मूल में कोई
विचारधारा ही होती है।
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खुद का दिमाग लगा ठीक है ना
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