ले चला साथ मै तुझे कनक,ज्यो भिक्षु स्वण कनक ये कौन सा अलंकार है
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Yamak alankar
Yaha par "kanak" shabd ka ham ek se adhik bar prayog kar rahe hai
ले चला साथ मै तुझे कनक,ज्यो भिक्षु स्वण कनक ये कौन सा अलंकार है
{ इन पंक्तियों में उत्प्रेक्षा अलंकार है }
( काव्यांश में ‘ज्यों’ शब्द का इस्तेमाल हो रहा है एवं कनक – उपमेय में स्वर्ण – उपमान के होने कि कल्पना हो रही है। अतएव यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा )
उत्प्रेक्षा अलंकार होता है
जहां उपमेय और उपमान की समानता के कारण उपमेय में उपमान की संभावना की जाए, उत्प्रेक्षा अलंकार होता है | इसके वाचक शब्द हैं – मनु, मानों, जनु, जनहु, मनहु |
अलंकार का अर्थ होता है : – आभूषण या श्रंगार चांदी के आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं | अलंकार स्वयं सौंदर्य नहीं होते, वे काव्य के सौंदर्य को बढ़ाने वाले सहायक तत्व होते हैं | अलंकारों के योग से काव्य मनोहारी बन जाता है |
अलंकार के तीन प्रकार :- 1.शब्दालंकार 2.अर्थालंकार 3.उभयालंकार