लोएस मैदान में किस प्रकार का घर बनाया जाता है
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पवन द्वारा उडाई गई धूलो के निक्षेप से निर्मित जमाव को लोयस कहते हैं। लोयस का नामकरण फ्रांस के अलसस प्रान्त के लोयस नामक ग्राम के आधार पर किया गया हैं, क्योंकि यहाँ पर लोयस के समान ही मिट्टी का निक्षेप पाया जाता हैं।
लोयस का जमाव रेगिस्तानों से दूरस्थ स्थानों में होता हैं। इसमे मिट्टियों के कण इतने बारीक होते हैं कि इनमे परतें नही मिलती। परन्तु लोयस अत्यधिक पारगम्य होती हैं। मिट्टी मुलायम होती है। लोयस का निर्माण उस समय होता हैं जब पवन के साथ मिली हुई धूल नीचे बैठकर एक स्थान पर बडे पैमाने पर निक्षेपित हो जाती हैं | सबसे बड़ा लोयस का मैदान उत्तरी चीन में पाया जाता है।
Explanation:
लोएस
लोएस मरुस्थलीय क्षेत्रों के बाहर पवन द्वारा उड़ाकर लाए गए धूल व मिट्टी के महीन कणों के वृहद जमाव को कहा जाता है। ये कण इतने महीन होते हैं कि, हवा इन्हें बहुत दूर तक उड़ा ले जाती है। लोएस के जमाव में अन्य अवसादी चट्टानों की भांति संस्तरों का पूर्णत: अभाव होता है। इस तरह के जमावों का 'लोएस' नाम जर्मनी के अल्सेस प्रांत में स्थित 'लोएस ग्राम' के नाम पर पड़ा है, जहां ऐसी सूक्ष्म मिट्टियों का निक्षेप प्रचुर मात्रा में मिलता है।
वर्ष 1821 में राइन नदी घाटी में बने मिट्टी के इस तरह के जमाव के लिए पहली बार 'लोएस' शब्द का इस्तेमाल किया गया था।
लोएस मिट्टियाँ प्राय: अधिक सरंध्र, बहुत उपजाऊ और कृषि के उपयुक्त होती हैं।
उत्तरी चीन में कई सौ मीटर की मोटाई वाला लोएस का जमाव पाया जाता है।
इसका निर्माण मध्य एशिया के गोबी मरुस्थल से पवन द्वारा उड़ाकर लाई गई मिट्टियों से हुआ है।
लोएस में क्वार्ट्रज, फेल्सपार, अभ्रक तथा कैल्साइट इत्यादि खनिजों का मिश्रण पाया जाता है।
ऑक्सीकरण की वजह से इनका रंग पीला या भूरा होता है।
अन्य अपक्षय क्रियाओं का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
चीन की लोएस रेगिस्तानी है, जबकि यूरोप में जर्मनी, फ़्राँस, बेल्जियम इत्यादि देशों की लोएस हिमनदीय है।