लोगो के डर को बड़ाने मै मीडिया की भूमिका पर अनुछद्
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मीडिया एक समग्र तंत्र है जिसमें प्रिंटिंग प्रेस, पत्रकार, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम, रेडियों, सिनेमा, इंटरनेट आदि सूचना के माध्यम सम्मिलित होते हैं। अगर समाज में मीडिया की भूमिका की बात करें तो इसका तात्पर्य यह हुआ कि समाज में मीडिया प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से क्या योगदान दे रहा है एवं उसके उत्तरदायित्वों के निर्वहन के दौरान समाज पर उसका क्या सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
मीडिया एक समग्र तंत्र है जिसमें प्रिंटिंग प्रेस, पत्रकार, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम, रेडियों, सिनेमा, इंटरनेट आदि सूचना के माध्यम सम्मिलित होते हैं। अगर समाज में मीडिया की भूमिका की बात करें तो इसका तात्पर्य यह हुआ कि समाज में मीडिया प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से क्या योगदान दे रहा है एवं उसके उत्तरदायित्वों के निर्वहन के दौरान समाज पर उसका क्या सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।प्रभाव पर गौर करने पर स्पष्ट होता है कि मीडिया की समाज में शक्ति, महत्ता एवं उपयोगिकता में वृद्धि से इसके सकारात्मक प्रभावों में काफी अभिवृद्धि हुई है लेकिन साथ-साथ इसके नकारात्मक प्रभाव भी उभर कर सामने आए हैं।
मीडिया एक समग्र तंत्र है जिसमें प्रिंटिंग प्रेस, पत्रकार, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम, रेडियों, सिनेमा, इंटरनेट आदि सूचना के माध्यम सम्मिलित होते हैं। अगर समाज में मीडिया की भूमिका की बात करें तो इसका तात्पर्य यह हुआ कि समाज में मीडिया प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से क्या योगदान दे रहा है एवं उसके उत्तरदायित्वों के निर्वहन के दौरान समाज पर उसका क्या सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।प्रभाव पर गौर करने पर स्पष्ट होता है कि मीडिया की समाज में शक्ति, महत्ता एवं उपयोगिकता में वृद्धि से इसके सकारात्मक प्रभावों में काफी अभिवृद्धि हुई है लेकिन साथ-साथ इसके नकारात्मक प्रभाव भी उभर कर सामने आए हैं।मीडिया ने जहाँ जनता को निर्भीकता पूर्वक जागरूक करने, भ्रष्टाचार को उजागर करने, सत्ता पर तार्किक नियंत्रण एवं जनहित कार्यों की अभिवृद्धि में योगदान दिया है, वहीं लालच, भय, द्वेष, स्पर्द्धा, दुर्भावना एवं राजनैतिक कुचक्र के जाल में फंसकर अपनी भूमिका को कलंकित भी किया है। व्यक्तिगत या संस्थागत निहित स्वार्थों के लिये यलो जर्नलिज़्म को अपनाना, ब्लैकमेल द्वारा दूसरों का शोषण करना, चटपटी खबरों को तवज्जों देना और खबरों को तोड़-मरोड़कर पेश करना, दंगे भड़काने वाली खबरे प्रकाशित करना, घटनाओं एवं कथनों को द्विअर्थी रूप प्रदान करना, भय या लालच में सत्तारूढ़ दल की चापलूसी करना, अनावश्यक रूप से किसी की प्रशंसा और महिमामंडन करना और किसी दूसरे की आलोचना करना जैसे अनेक अनुचित कार्य आजकल मीडिया द्वारा किये जा रहे हैं। दुर्घटना एवं संवेदनशील मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना, ईमानदारी, नैतिकता, कर्त्तव्यनिष्ठा और साहस से’ संबंधित खबरों को नजरअंदाज करना आजकल मीडिया का एक सामान्य लक्षण हो गया है। मीडिया के इस व्यवहार से समाज में अव्यवस्था और असंतुलन की स्थिति पैदा होती है।