लोगों की धर्म ईमान की चिंता किस से हो रही है और क्यों हो रही हैं
क्लास नाइंथ चैप्टर 2 दुख का अधिकार
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Explanation:
किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसका दर्जा और अधिकार का पता चलता है तथा उसकी | अमीरी-गरीबी की श्रेणी का भी पता चलता है।
खरबूजे बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूजे इसलिए नहीं खरीद रहा था क्योंकि वह घुटनों में सिर गड़ाए फफक-फफककर | रो रही थी। इसके बेटे की मृत्यु के कारण लगे सूतक के कारण लोग इससे खरबूजे नहीं ले रहे थे।
उस स्त्री को देखकर लेखक को उसके प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न हुई थी। उसे देखकर लेखक का मन व्यथित हो उठा। वह नीचे झुककर उसकी अनुभूति को समझना चाहता था तब उसकी पोशाक इसमें अड़चन बन गई।
उस स्त्री का लड़का तेईस बरस का था। लड़का शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन पर
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✎... धर्म ईमान की चिंता बाजार के लोगों को हो रही थी, जहाँ पर बढ़िया खरबूजे बेच रही थी। उन्हें अपने धर्म-ईमान की चिंता थी। लोग कह रहे थे कि इसका जवान बेटा कल ही मरा है और आज यह खरबूजे बेचने आ गई। इसको सूतक लगा है, अभी से घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए था। बुढ़िया को धर्म-ईमान की कोई चिंता नहीं थी। इसका धर्म-ईमान तो केवल रुपया पैसा है। इस तरह के कटाक्ष करते बाजार के लोग अपना धर्म भ्रष्ट होने की वजह से उसे खरबूजा खरीद भी नहीं रहे थे और लाचार बुढ़िया पर कटाक्ष कर रहे थे। उन्हें बुढ़िया द्वारा खरबूजा बेचे जाने की मजबूरी के कारण का एहसास नहीं था क्योंकि वे सब संवेदनहीन थे।
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