लोगों में लोकगीतों का प्रचलन खत्म होता जा रहा है। क्या आप इस बात से सहमत हैं? कारण सहित बताइए।
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अब तक माना जाता था कि संगीत के घराने संगीत की आत्मा को जीवित रखने में जुटे हुए हैं, लेकिन अब तकनीक के दौर में कई अनाम संगीतप्रेमी लोकगीतों और संस्कृति को सहेजने में लगे हुए हैं। भले ही वे संगीत मर्मज्ञ नहीं हों, लेकिन इंटरनेट को जरिया बनाकर सुरों का जादू बरकरार रखने में जुटे हैं। भारतीय लोक संस्कृति के लिए अच्छा समाचार है कि अब ब्रज, राजस्थान के रसिया व लांगुरिया सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित लोकगीतों की मिठास हमेशा बरकार रहेगी। कई बेनाम इंटरनेट यूजर्स लोक संस्कृति को इंटरनेट पर सुरक्षित करने में जुटे हैं। ठेठ गांवों में गाए जाने वाले लोकगीतों के ऑडियो, वीडियो व बोल अब गूगल व दूसरे सर्च इंजनों तक पहुंच गए हैं। आईआईएम, आईटी व विदेशी विवि के विद्यार्थियों को भारतीय लोक गीत व नृत्य बेहद रास आ रहे हैं।
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