लोग तो होते हैं बचपन के खेलों पर चिंता जारी करते हुए दो सहेलियों के मध्य लगभग 60 शब्दों में एक संवाद लिखिए
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abahay2224 avatar
abahay2224
16 hours ago
Hindi
Secondary School
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1. लुफ़त होते बचपन के खेलो पर चंता ज़ाहीर करते हुए दो मित्रों/सहेलियों के मध्य लगभग 60 शब्दों मैं एक संवाद लिखिये?
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Kshitu73
Kshitu73Helping Hand
( क्षितिजा एक मैदान मैं बैठी थी और किसी सोच मैं दुबी हुई थी तभी अस्मिता वाहा आई)
अस्मिता: क्या कर रही हो क्षितिजा?
क्षितिजा:मैं सोच रही थी जब हम बच्चे थे तब कितने सारे खेल खेलते थे ना
अस्मिता:सच कहा तुमने एक हम थे और एक आज कल के बच्चे है
क्षितिजा: देखो ना इस मैदान पर कितने थोडे बच्चे है
अस्मिता: हमारे जमाने के खेलो का तो कोई महत्त्व ही नाही रहा
क्षितिजा: आज कल के बच्चे व्हिडिओ गेम khelana जादा पसंद करते है
अस्मिता: हमारे बचपन के खेल कही खतम ना हो जाये
क्षितिजा: मैं भी यही सोच रही थी
अस्मिता: ठीक है बेहेन मैं चलती हुं मम्मी इंताजार कर रही होगी
क्षितिजा : ठीक है
Explanation:hope it helps you!