लोहे में लगने वाले हेतु आवश्यक परिस्थिति खाली स्थान तथा खाली स्थान है
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हम सबने देखा है कि जब किसी धातु से बने उपकरणों को हम काफी समय के लिए हवा में छोड़ देते है तो उनमें जंग लग जाता है. हवा में ऑक्सीजन, कार्बन डाईऑक्साईड, सल्फर, अम्ल आदि होते हैं, जिनके साथ प्रतिक्रिया करने पर धातु के उपर अवांक्षित यौगिक की परत जम जाती है. इस परत के कारण धातु धीरे-धीरे क्षय होने लगती है, धातु की चमक खराब हो जाती है आदि. इस प्रक्रिया को धातु का संक्षारण (corrosion) कहते हैं.
जैसे जब लोहे से बने सामान नमी वाले हवा में वर्तमान ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करते हैं तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत आयरन ऑक्साइड (Iron oxide) जम जाती है, इस प्रक्रिया को लोहे में जंग लगना कहते हैं. इसी प्रकार जब चाँदी से बना सामान, सिक्के, जेवर आदि हवा में सल्फाईड के संपर्क लम्बे समय तक रहते है, तो उसके उपर एक काले रंग की परत सिल्वर सल्फाइड (silver sulphide)की जम जाती है, इस प्रक्रिया को चाँदी का संक्षारण या चाँदी पर दाग लगना कहते हैं और जब ताम्बे से बने सामान, सिक्के, बर्तन आदि लम्बे समय तक हवा के संपर्क में रहते है तो हवा में कार्बन डाईऑक्साइड से प्रतिक्रिया के कारण ताम्बे के उपर कॉपर कार्बोनेट (copper carbonate) की परत जम जाती है, जिसके कारण ताम्बे का वास्तविक रंग तथा चमक खराब (मलिन) हो जाती है, इस प्रक्रिया को ताम्बे का संक्षारण या corrosion कहते हैं.
हम सबने देखा है कि जब किसी धातु से बने उपकरणों को हम काफी समय के लिए हवा में छोड़ देते है तो उनमें जंग लग जाता है. हवा में ऑक्सीजन, कार्बन डाईऑक्साईड, सल्फर, अम्ल आदि होते हैं, जिनके साथ प्रतिक्रिया करने पर धातु के उपर अवांक्षित यौगिक की परत जम जाती है. इस परत के कारण धातु धीरे-धीरे क्षय होने लगती है, धातु की चमक खराब हो जाती है आदि. इस प्रक्रिया को धातु का संक्षारण (corrosion) कहते हैं.
जैसे जब लोहे से बने सामान नमी वाले हवा में वर्तमान ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करते हैं तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत आयरन ऑक्साइड (Iron oxide) जम जाती है, इस प्रक्रिया को लोहे में जंग लगना कहते हैं. इसी प्रकार जब चाँदी से बना सामान, सिक्के, जेवर आदि हवा में सल्फाईड के संपर्क लम्बे समय तक रहते है, तो उसके उपर एक काले रंग की परत सिल्वर सल्फाइड (silver sulphide)की जम जाती है, इस प्रक्रिया को चाँदी का संक्षारण या चाँदी पर दाग लगना कहते हैं और जब ताम्बे से बने सामान, सिक्के, बर्तन आदि लम्बे समय तक हवा के संपर्क में रहते है तो हवा में कार्बन डाईऑक्साइड से प्रतिक्रिया के कारण ताम्बे के उपर कॉपर कार्बोनेट (copper carbonate) की परत जम जाती है, जिसके कारण ताम्बे का वास्तविक रंग तथा चमक खराब (मलिन) हो जाती है, इस प्रक्रिया को ताम्बे का संक्षारण या corrosion कहते हैं.
आइये देखते है कि लोहे में जंग कैसे लगता है
जब लोहे से बने सामान नमी वाली हवा में ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करते हैं तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत यानी आयरन ऑक्साइड (Iron oxide) जम जाती है. यह भूरे रंग की परत लोहे का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया के कारण आयरन ऑक्साइड बनने से होता है. आयरन ऑक्साइड छिद्रदार (Porous) होता है. यह परत कुछ समय पश्चात धातु में नीचे की और चली जाती है तथा लोहे की दूसरी परत फिर हवा में मौजूद ऑक्सीजन तथा पानी से प्रतिक्रिया कर आयरन ऑक्साईड में बदल जाती है. यह प्रक्रिया चलती रहती है तथा धीरे-धीरे लोहे का पूरा सामान आयरन ऑक्साईड में बदल जाता है, अर्थात खराब हो जाता है. इस तरह आयरन ऑक्साईड का बनना लोहे में जंग लगना कहलाता है, तथा आयरन ऑक्साइड को जंग कहते हैं.
इसे ऐसे भी समझा जा सकता है: जब लोहा ऑक्सीजन तथा पानी के साथ प्रतिक्रिया करता है तो आयरन हाईड्रोक्साईड (iron hydroxide) बन जाता है. यह आयरन हाईड्रोक्साईड सूखने के बाद फेरिक ऑक्साईड (ferric oxide) में बदल जाती है, जिसे जंग कहते है.
Iron + Water + Oxygen → Rust
जब लोहा पानी तथा ऑक्सीजन के संपर्क में आता है तो जंग लग जाता है. इसका मतलब जंग लगने के लिए लोहे का पानी और ऑक्सीजन की संपर्क में आना अनिवार्य है. अर्थात हवा या ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में लोहे में जंग नहीं लगता है. यदि हवा में नमी नहीं हो तो लोहे में जंग नहीं लगेगा या लोहे को ऑक्सीजन या पानी किसी एक से संपर्क में आने से रोक दिया जाय तो लोहे में जंग लगने से रोका जा सकता है.