ल्हापुर को शिकायत पत्र लिखती है।कोल्हापुर में भयंकर आवाज करने वाले पटाखे छोड़े जाने के कारण कहा के निवासी त्रस्त है इस संदर्भ में पत्र लिखिए
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Explanation:
दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को मापने वाली सरकारी संस्था दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि दिवाली पर पटाखों से होने वाला प्रदूषण इस साल भी ख़तरनाक स्तर पर रहा.
पटाखों से होने वाले प्रदूषण के बारे में और अधिक जानकारी के लिए बीबीसी ने पर्यावरण के लिए काम करने वाली ग़ैर सरकारी संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट में वायु प्रदूषण मामलों के जानकार विवेक चट्टोपाध्याय से बात की.
उनका कहना है कि प्रदूषण के निर्धारित सुरक्षा स्तर से इस बार सात गुना तक अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया है. हवा में मौजूद प्रदूषित तत्व सांस के माध्यम से हमारे रक्त तक पहुँच सकते हैं.
कोई ये पूछ सकता है कि पटाखों में ऐसा क्या होता जिसकी वजह से प्रदूषण बढ़ जाता है.
नियम
विवेक चट्टोपाध्याय कहते हैं, "पटाखों में बारूद, चारकोल और सल्फर के केमिकल्स का इस्तेमाल होता है जिससे पटाखे से चिनगारी, धुआँ और आवाज़ निकलती है. इनके मिलने से प्रदूषण होता है."
हालांकि इस मसले का एक और पहलू भी है.
विवेक का कहना है कि अगर धुएँ को लेकर मानक तय भी कर दिए जाएं तो पटाखों के ज़्यादा इस्तेमाल की वजह से हालात वही रहेंगे. मसलन कोई बहुत ज़्यादा पटाखे छोड़ता है तो कुछ नहीं बदलेगा.
यहां फिक्र इस बात को लेकर भी बढ़ जाती है कि पटाखों के इस्तेमाल में क्या बदलाव आए हैं, इस पर किसी ठोस अध्ययन के बारे में लोगों को ज़्यादा जानकारी नहीं है.
विवेक कहते हैं, "हर साल बस लाइसेंस की संख्या को लेकर बात की जाती है लेकिन हमारे बाज़ारों में कितनी मात्रा में पटाखे आ रहे हैं, इसका कोई आंकड़ा नहीं दिया जाता."