ल्हासा की ओर पाठ का सारांश
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ल्हासा की ओर यात्रा
ल्हासा की ओर पाठ में राहुल जी ने अपनी पहली तिब्बत यात्रा का वर्णन किया है | उस समय भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी , इसलिए उन्होंने यह यात्रा भिखमंगो ले वेश में की थी |
तिब्बत एक पहाड़ी प्रदेश है जिस कारण यहाँ बर्फ़ पड़ती है | इसकी सीमा हिमालय पर्वत से शुरू होती है | भीटे तिब्बत में पहाड़ बिलकुल नंगे थे , ना वहां बर्फ़ की सफेदी थी, ना ही किसी तरह की हरियाली थी |उतर की तेरफ तो बहुत ही काम पहाड़िया और बर्फ़ वाली चोटियाँ दिखाई पड़ती थी |
तिब्बत के समाज में छुआछूत, जाति-पाँति आदि कुप्रथाएँ नहीं थी। सारे प्रबंध की देखभाल कोई भिक्षु करता था। वह भिक्षु जागीर के लोगों में राजा के समान सम्मान पाता था। उस समय तिब्बती की औरतें परदा नहीं करती थीं।
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'लहासा की ओर' राहुल सांकृत्यायन द्वारा लिखित एक यात्रा वृतांत है lलहासा तिब्बत की राजधानी है इस संकलित यात्रा वृतांत में लेखक राहुल जी ने अपनी प्रथम तिब्बत यात्रा का उल्लेख किया है lउन्होंने अपनी यात्रा सन 1929-30 में नेपाल के रास्ते से होकर की थी क्योंकि उस समय भारतीय लोगों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी lअतः उन्होंने यात्रा एक अधिकारी का छद्म वेश धारण करके की थी इसमें तिब्बत की राजधानी ल्हासा की ओर जाने वाले कठिन मार्गों का वर्णन इन्होंने बहुत ही रोचक शैली में किया है इस यात्रा वृतांत से हमें तत्कालीन तिब्बती समाज के आर्थिक राजनैतिक सामाजिक धार्मिक आदि विषयों की जानकारी प्राप्त होती है l