लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए कौन थे उनके छापेखाने के विषय में क्या विचार थे ?
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लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए और उनके छापेखाने के विषय में विचार निम्नलिखित थे
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अठारहवीं सदी के मध्य तक यह आम विश्वास बन चुका था कि किताबों के ज़रिये प्रगति और ज्ञान का उदय होता है। अठारहवीं सदी में फ़्रांस के एक उपन्यासकार लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए ने यह घोषणा करते हुए कहा कि " छापाखाना प्रगति का सबसे ताकतवर औज़ार है, इससे बन रही जनमत की आंधी में निरंकुशवाद उड़ जाएगा। " सेबेस्तिएँ मर्सिए के उपन्यासकारों में नायक अक्सर किताबें पढ़ने से बदल जाते हैं। वे किताबों की दुनिया में जीते हैं और इसी क्रम में ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं। ज्ञानोदय को लाने और निरंकुशवाद के आधार को नष्ट करने में छापेखाने की भूमिका के बारे में आश्वस्त सेबेस्तिएँ मर्सिए ने कहा , " हे निरंकुशवादी शासकों , अब तुम्हारे कांपने का वक़्त आ गया है! आभासी लेखक की कलम के आगे हिल उठोगे। "
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लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए नएक उपन्यासकार थे।
छापाखाना प्रगति का सबसे बड़ा ताकतवर औजार है और इससे बन रही जनमत की आधी में निरंकुशवाद उड़ जाएगा। मर्सिए के उपन्यासों में नायक अकसर किताबें पढ़ने में बदल जाते हैं। वे किताबों की दुनिया में जीते हैं और इसी क्रम में ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं।
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