Hindi, asked by hemantbunker0, 8 months ago

लाइकोपोडियम की प्रजनन पर टिपण्णी​

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Answered by Shourya2413
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Answer:

clubmosses (लाइकोपोडियम) पेरिटोफाइटा से संबंधित संवहनी पौधे हैं। स्ट्रोफिली में स्पोरोफिल्स (संरचनाओं के वाहक पत्ते जो बीजाणु पैदा करते हैं) को पेश करके उनकी विशेषता होती है. ... केंद्र में स्थित डाइकोटोमस ब्रांचिंग और संवहनी ऊतक के साथ उपजी रेंगने या खड़ी हो सकती है।

Answered by sharwankumarjakhar
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Answer:

टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) वनस्पतिज्ञों द्वारा किए गए पौधों के कई विभागों में से एक विभाग है। यह एक ओर पुष्प और बीज उत्पादक ब्राइटोफाइटा से और दूसरी ओर पुष्प और बीज न उत्पन्न करनेवाले जल के पौधों, "मॉसों" (mosses), से भिन्न होता है, तथापि इन दोनों वर्गों के पौधों के गुणों से कुछ कुछ गुणों में समानता रखता है। स्थल पर उत्पन्न होनेवाले पौधों को स्परमाटो-फाइटा (spermatophyta) और केवल जल में उत्पन्न होनेवाले पौधों को थैलोफाइटा (Thallophyta) कहते हैं। टेरिडोफ़ाइटा फर्न और फर्न किस्म के पौधे हैं। इनमें कुछ पौधे आज भी पाए जाते हैं, पर एक समय, 35 करोड़ वर्ष पूर्व, डिवोनी युग में इनका बाहुल्य और साम्राज्य था, जैसा इनके फाँसिलों से पता लगता है और ये संसार के प्रत्येक भाग में फैले हुए थे। कोयले के फॉसिलों में ये विशेष रूप से पाए जाते हैं। टेरिडोफाइटा ही कोयला क्षेत्र की उत्पत्ति के कारण हैं। ये कुछ सेंटीमीटर से लेकर 30 मीटर तक ऊँचे होते थे। लगभग सात करोड़ वर्षों तक पृथ्वीतल पर इनका आधिपत्य रहा था। बाद में जलवायु के परिवर्तन से इनका ह्रास होना आरंभ हुआ और विशेषत: इनके बड़े-बड़े पेड़ अब बिलकुल लुप्त हो गए हैं। इनका स्थान क्रमश: विवृतबीज (gymnosperm) और आवृतबीज (angiosperm) कोटि के पौधों ने ले लिया है, पर आज भी छोटे कद के कुछ टेरिडोफाइटा पाए जाते हैं। ये उष्णकटिबंध देशों में विशेष रूप से उपजते हैं, यद्यपि कुछ ठंडे, उत्तरी प्रदेशों में भी पाए गए हैं। अभी तक इनकी छ: हजार जातियाँ मालूम हो सकी हैं जबकि पुष्प और बीज उत्पन्न करनेवाले पौधों की संख्या लगभग एक लाख पचास हजार है।

गुणधर्म एवं विशेषताएँ संपादित करें

टेरिडोफाइटा में फूल नहीं लगते, पर इनमें वास्तविक जड़ें होती हैं। अधिकांश पौधों में सुविकसित पत्तियाँ होती हैं। इनके ऊतक मॉस के ऊतकों से अधिक विकसित होते हैं। कुछ फॉसिलों में जड़ें और पत्तियाँ नहीं पाई गई हैं। ये संवहनीय (vascular) पौधे हैं। इनका प्रचारण (propagation) बीजों से नहीं वरन् बडे सूक्ष्म बीजाणुओं से होता है, जो बहुत बड़ी संख्या में बीजाणुधानिओं (sporangia) से बनते हैं। इनके बीजाणु अंकुरित होकर फर्न नहीं बनते, अपितु ये सूक्ष्म और नगण्य सूकायक (thallus) बनते हैं, जिनमें लैंगिक इंद्रियों जैसे भाग रहते हैं। इनमें प्रधानियाँ (antheridea) होती हैं। जिनसे जल में चलनेवाले युग्मक (gametes) उन्मुक्त होते हैं। इनमें फलास्क के आकार की आदियोनि (archegonia) या स्त्रीयुग्मक (female gamete) रहते हैं। इन दोनों के मिलने से संसेचन होता है। पुंयुग्मज तैरते हुए स्त्रीयुग्मज के पास पहुँचकर संसेचन करते हैं। संसेचन के बाद सूकायक से छोटा पौधा विकसित होता है और ज्योंही नया पौधा जड़ बनाता है, पुराना पौधा मर जाता है।

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