Hindi, asked by rajuyadavjimau, 2 months ago

लाज न आवत आपको, दौरे आयहु साथ।
धिक् धिक् ऐसे प्रेम को, कहा कहौं मैं नाथ ॥
ता​

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Answered by shishir303
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लाज न आवत आपको दौरे आयहु साथ।

धिक् धिक् ऐसे प्रेम को कहा कहौं मैं नाथ॥

अस्थिचर्ममय देह यह ता पर ऐसी प्रीति।

तिसु आधो रघुबीरपद तो न होति भवभीति॥

भावार्थ ➲  अर्थात तुलसीदास जी उनकी पत्नी कहती हैं, कि आपको लाज नहीं आई जो दौड़ते हुए मेरे पास आ गए। हे नाथ! अब मैं आपसे क्या कहूँ। आपके ऐसे प्रेम पर धिक्कार है। मेरे प्रति जितना प्रेम आप दिखा रहे हैं उसका आधा प्रेम भी अगर आप प्रभु श्री राम के प्रति दिखा देते, तो आप इस संसार के समस्त कष्टों से मुक्ति पा जाएं। इस हाड़-माँस की देह की देह के प्रति प्रेम और अनुराग करने से कोई लाभ नहीं। यदि आपको प्रेम करना है, तो प्रभु श्री राम से कीजिए, जिनकी भक्ति से आप संसार के भय से मुक्त हो जाएंगे और आपको मोक्ष की प्राप्ति हो जायेगी।

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