Hindi, asked by tejasanand29, 1 day ago

लोक आस्था का प्रति छठ पूजा का पौराणिक महत्व क्या है अपने शब्दों में लिखे​

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Answered by sapnazambre13
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वैसे तो हमारे देश में कई सारे त्योहार मनाए जाते हैं जैसे होली, दिवाली, रक्षाबंधन, दशहरा आदि। इन्ही त्योहारों की तरह ही छठ पूजा भी हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। सामान्यतयः यह त्योहार बिहार, झारखण्ड और पूर्वी उत्तर-प्रदेश में मनाया जाता है। इसके अलावा छठ पूजा नेपाल के तराई क्षेत्रों में भी धूमधाम से मनाया जाती है। इस त्यौहार में भगवान सूर्य और छठ माता की आराधना की जाती है। हिन्दुओं के अलावा इस्लाम एवं अन्य धर्म के कुछ लोग भी इस त्योहार को पूरी श्रद्धा से मानते हैं। इस पर्व से जुड़ी कई पौराणिक और लोक कथाएं भी प्रचलित हैं। छठ पूजा के महत्व से जुड़ी अन्य जानकारी एवं छठ पूजा पर निबंध यहां से देख सकते हैं।

छठ पूजा पर निबंध हिंदी में

छठ पूजा पर निबंध 400 वर्ड्स में

हिन्दुओं के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक छठ वर्ष में दो बार मनाया जाता है- पहली बार चैती छठ और दूसरी बार कार्तिकी छठ। चैती छठ पूजा चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है और वहीं कार्तिकी छठ पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस पूजा में छठ माता की अराधना और सूर्य को अर्घ देने का विशेष महत्व है। बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अन्य हिस्सों के साथ इसे नेपाल, मॉरीशस एवं अन्य देशों में भी उत्साह पूर्वक मनाया जाता है।

छठ चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन गंगा के पवित्र जल से स्नान कर के खाना बनाया जाता है। इस दिन चने की दाल, लौकी की सब्जी और रोटी का सेवन किया जाता है। नहाय-खाय के बाद खाने में नमक का प्रयोग नहीं किया जाता है। दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। खरना के दिन व्रत करने वाले लोग प्रसाद बनाते हैं। खरना के प्रसाद में खीर बनाई जाती है। इस खीर में चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग किया जाता है। शाम को पूजा के बाद इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं। प्रसाद खाने के बाद निर्जला व्रत शुरू होता है। तीसरे दिन नदी किनारे छठ माता की पूजा की जाती है। पूजा के बाद डूबते हुए सूर्य को गाय के दूध और जल से अर्घ दिया जाता है। इसके साथ ही छठ का विशेष प्रसाद ठेकुआ और फल चढ़ाया जाता है। इस त्योहार के आखिरी दिन सूर्य के उगते ही सभी के चेहरे खिल उठते हैं। व्रत करने वाले पुरुष और महिलाओं के द्वारा उगते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाता है। सूर्य को अर्घ देने के बाद व्रत करने वाले लोग प्रसाद खा कर अपना व्रत खोलते हैं। इसके बाद सभी लोगों में प्रसाद बांट कर पूजा संपन्न की जाती है।

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छठ का व्रत किसी कठिन तपस्या से कम नहीं है। छठ पर्व पति और संतान की दीर्घायु के लिए किया जता है। मान्यताओं के अनुसार सच्चे मन से छठ व्रत करने पर सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसी मान्यता है की छठ पर्व पर व्रत रखने वाली महिलाओं को पुत्र की प्राप्ति होती है। महिलाओं के साथ पुरुष भी अपने कार्य की सफलता और मनचाहे फल की प्राप्ति के लिए इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करते हैं।

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