लोकोती एवं मुहवरे का महत्व
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किसी भी भाषा में कुछ ऐसे वाक्यांश या पूरा का पूरा वाक्य प्रयोग होते हैं जो न केवल उस कथन को धारदार और प्रभावशाली बना देते हैं उस बल्कि उस वाक्य को स्पष्ट और आकर्षक भी बना देते हैं। इनसे भाषा रुचिकर और गतिशील हो जाती है। ये वाक्यांश या वाक्य मुहावरे और लोकोक्तियाँ कहलाते हैं। हर भाषा का अपना लोकोक्तियों और मुहावरों का भंडार होता है। लोकोक्तियों और मुहावरों का उस भाषा को प्रयोग करने वाले लोगों के अनुभवों, क्षेत्र, परम्पराओं आदि का पूरा प्रभाव देखा जा सकता है।
मुहावरा मूल रूप से अरबी भाषा के शब्द है जिसका अर्थ होता है बातचीत करना या उत्तर देना। मुहावरा का समानार्थक शब्द के मामले में अलग अलग विद्वानों की अलग अलग राय है। संस्कृत भाषा में कुछ लोग इसके लिए प्रयुक्तता, वागृति, वाग्धारा या भाषा संप्रदाय प्रयोग करते हैं। वी एस आप्टे ने अपने इंग्लिश संस्कृत कोश में इसका अर्थ वाक पद्धति, वाक रीति, वाक् व्यवहार और विशिष्ट स्वरुप लिखा है। वहीँ पराड़कर ने वाक् संप्रदाय को मुहावरे के पर्यावाची के रूप में स्वीकार किया है। जबकि काका कालेलकर वाक् प्रचार को मुहावरे के लिए रूढ़ि शब्द के रूप में अपनी अनुशंसा की है। अंग्रेजी भाषा में इसके लिए इडियम शब्द का प्रयोग होता है।
मुहावरे की परिभाषा
सरल शब्दों में कहा जाय तो ऐसे सुगठित शब्द समूह जिनसे लक्षणाजन्य और कभी कभी व्यंजनाजन्य कुछ विशिष्ट अर्थ निकलता है मुहावरा कहलाते हैं। ये शब्द समूह कई बार व्यंग्यात्मक भी हो सकते है। मुहावरे किसी भाषा को जीवंत, रंगीन और सरस बना देती है। इनके प्रयोग से भाषा प्रभावशाली, गतिशील और रोचक बन जाती है।
डॉ उदित नारायण तिवारी ने मुहावरों की परिभाषा देते हुए कहा है "हिन्दी-उर्दू में लक्षण अथवा व्यंजना द्वारा सिद्ध वाक्य को ही ‘मुहावरा’ कहते हैं।" जबकि ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार "किसी भाषा की अभिव्यंजना के विशिष्ट रूप को ‘मुहावरा’ कहते हैं। एक अन्य पक्ष है कि विशिष्ट शब्दों विचित्र प्रयोगों एवं प्रयोग-सिद्ध विशिष्ट वाक्यांशों वाक्य-पद्धति को ‘मुहावरा’ कहते हैं।
लोकोक्ति और मुहावरे में क्या अंतर है
लोकोक्ति पूरा वाक्य होती है अर्थात लोकोक्तियों में उद्द्येश्य और विधेय दोनों होता है वहीँ मुहावरे वाक्यांश होते हैं यानि इनमे उद्द्येश्य और विधेय नहीं होता।
लोकोक्तियों या कहावतों का प्रयोग स्वतंत्र रूप में हो सकता है परन्तु मुहावरे चूँकि वाक्यांश होते हैं अतः इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से नहीं हो सकता। इनका प्रयोग वाक्य के अंतर्गत ही हो सकता है।
लोकोक्तियाँ वाक्य के लाक्षणिक और व्यंजनात्मक प्रयोग होते हैं जबकि मुहावरे शब्दों के लाक्षणिक और व्यंजनात्मक प्रयोग हैं।
लोकोक्तियों का रूपांतरण दूसरी भाषा में हो सकता है किन्तु मुहावरे शब्द शक्ति पर आधारित होने की वजह से दूसरी भाषा में रूपांतरित नहीं हो सकते क्योंकि इससे उनके शब्दों का अर्थ नष्ट हो सकता। है
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लोकोक्तियों के अंत में कोई विशेष लक्षण या कोई सामान प्रत्यय नहीं होता किन्तु मुहावरों के अंत में प्रायः "ना " प्रत्यय लगा होता है।
लोकोक्तियाँ गद्य और पद्य दोनों रूप में प्रयोग हो सकते हैं किन्तु मुहावरे केवल गद्य रूप में प्रयुक्त होते हैं।
लोकोक्ति लोक में प्रचलित उक्ति होती हैं जो भूतकाल का लोक अनुभव होती हैं जबकि मुहावरा अपने रूढ़ अर्थ के लिए प्रसिद्ध होता हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं लोकोक्तियाँ और मुहावरे दोनों एक दूसरे से अलग अलग होते हुए भी दोनों ही किसी भाषा की निधि होते हैं। लोकोक्ति और मुहावरे भाषाओँ को जीवंत, प्रभावशाली, तीक्ष्ण और स्पष्ट बनाने में अपना खूब योगदान देते हैं।
दोस्तों,उम्मीद है लोकोक्ति और मुहावरों में अब अंतर स्पष्ट हो गया होगा। आपको "लोकोक्ति और मुहावरों में क्या अंतर है" पोस्ट कैसा लगा, कृपया अपने कमेंट के माध्यम से बताएं, पसंद आये तो कृपया शेयर करें और ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें।
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