India Languages, asked by tanmaykamath76, 9 months ago

लॉकडॉन के online शिक्षण निबंध मराठी fully explained long essay atleast 2 page of reguster​

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Answered by Amriteshkumar
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शिक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो हर किसी के जीवन में बहुत उपयोगी है। शिक्षा वह है जो हमें पृथ्वी पर अन्य जीवित प्राणियों से अलग करती है। यह मनुष्य को पृथ्वी का सबसे चतुर प्राणी बनाती है। यह मनुष्यों को सशक्त बनाती है और उन्हें जीवन की चुनौतियों का कुशलता से सामना करने के लिए तैयार करती है।

शिक्षा

शिक्षा क्या है?

शिक्षा शब्द संस्कृत के ‘शिक्ष’ धातु से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, सिखना या सिखाना। अर्थात जिस प्रकिया द्वारा अध्ययन और अध्यापन होता है, उसे शिक्षा कहते हैं।

शिक्षा की विभिन्न परिभाषाएं

गीता से अनुसार, “सा विद्या विमुक्ते”। अर्थात शिक्षा या विद्या वही है जो हमें बंधनों से मुक्त करे और हमारा हर पहलु पर विस्तार करे।

टैगोर के अनुसार, “हमारी शिक्षा स्वार्थ पर आधारित, परीक्षा पास करने के संकीर्ण मक़सद से प्रेरित, यथाशीघ्र नौकरी पाने का जरिया बनकर रह गई है जो एक कठिन और विदेशी भाषा में साझा की जा रही है। इसके कारण हमें नियमों, परिभाषाओं, तथ्यों और विचारों को बचपन से रटना की दिशा में धकेल दिया है। यह न तो हमें वक़्त देती है और न ही प्रेरित करती है ताकि हम ठहरकर सोच सकें और सीखे हुए को आत्मसात कर सकें।”

महात्मा गांधी के अनुसार, “सच्ची शिक्षा वह है जो बच्चों के आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक पहलुओं को उभारती है और प्रेरित करती है। इस तरीके से हम सार के रूप में कह सकते हैं कि उनके मुताबिक़ शिक्षा का अर्थ सर्वांगीण विकास था।”

स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, “शिक्षा व्यक्ति में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।”

अरस्तु के अनुसार, “शिक्षा मनुष्य की शक्तियों का विकास करती है, विशेष रूप से मानसिक शक्तियों का विकास करती है ताकि वह परम सत्य, शिव एवम सुंदर का चिंतन करने योग्य बन सके।”

उपसंहार

शिक्षा को सुलभ बनाने के लिए देश में शैक्षिक जागरूकता फैलाने की जरूरत है। लेकिन, शिक्षा के महत्व का विश्लेषण किए बिना यह अधूरा है।

निबंध – 2 (400 शब्द)

भूमिका

शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने सपने पूरे कर सकते हैं। जीवन को नयी दशा और दिशा दे सकते हैं। बिना शिक्षा के हम कुछ भी मुकाम हासिल नहीं कर सकते। आजकल जीविकोपार्जन करना हर किसी की जरुरत है, जिसके लिए आपका शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है। आज की पीढ़ी का बिना पढ़े-लिखे भला नहीं हो सकता।

शिक्षा से ही रोजगार के अवसरों का सृजन होता है। आज वही देश सबसे ताकतवरों की श्रेणी में आता है, जिसके पास ज्ञान की शक्ति है। अब वो दिन गये, जब तलवार और बंदूकों से लड़ाईयां लड़ी जाती थी, अब तो केवल दिमाग से खून-खराबा किए बिना ही बड़ी-बड़ी लड़ाईयां जीत ली जाती हैं।

शिक्षा का अधिकार

वैसे शिक्षा पाना हर किसी का अधिकार है। लेकिन अब इस पर कानून बन गया है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि अब हर किसी को अपने बच्चों को पढ़ाना अनिवार्य है। ‘निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम’ के नाम से यह कानून 2009 में लाया गया। शिक्षा का अधिकार’ हमारे देश के संविधान में वर्णित मूल अधिकारों में से एक है।

46वें संविधान संशोधन, 2002 में मौलिक अधिकार के रुप में चौदह साल तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का नियम है। शिक्षा का अधिकार (आरटीआई एक्ट) संविधान के 21अ में जोड़ा गया है। यह 1 अप्रैल, 2010 से प्रभावी है। आरटीआई एक्ट में निम्न बातें बतायी गयीं हैं।

इस विधान के अनुसार अब किसी भी सरकारी विद्यालयों में बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है।

शिक्षा का अधिकार कानून विद्यार्थी-शिक्षक-अनुपात (प्रति शिक्षक बच्चों की संख्या), कक्षाओं, लड़कियों और लड़कों के लिए अलग शौचालय, पीने के पानी की सुविधा, स्कूल-कार्य दिवसों की संख्या, शिक्षकों के काम के घंटे से संबंधित मानदंड और मानक देता है।

भारत में प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय (प्राथमिक विद्यालय + मध्य विद्यालय) को शिक्षा के अधिकार अधिनियम द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानक बनाए रखने के लिए इन मानदंडों का पालन करना है।

जो बच्चे किसी कारणवश उचित समय पर विद्यालय नहीं जा पाते, उन्हें भी उचित कक्षा में प्रवेश देने का नियम है।

साथ ही यह प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति भी करता है।

निष्कर्ष

यह संविधान में उल्लेख किए गये मूल्‍यों के हिसाब से पाठ्यक्रम के विकास के लिए प्रावधान करता है। और बच्‍चे के समग्र विकास, बच्‍चे के ज्ञान, सम्भावना और प्रतिभा निखारने तथा बच्‍चे की मित्रवत प्रणाली एवं बच्‍चा केन्द्रित ज्ञान प्रणाली के द्वारा बच्‍चे को डर, चोट और चिंता से मुक्‍त करने को संकल्पबध्द है।

निबंध – 3 (500 शब्द)

प्रस्तावना

हमारा देश प्राचीनकाल से ही शिक्षा का केंद्र रहा है। भारत में शिक्षा का समृद्ध और दिलचस्प इतिहास रहा है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन दिनों में, शिक्षा को संतों और विद्वानों द्वारा मौखिक रूप से दिया जाता था और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जानकारी को प्रेषित किया जाता था।

पत्रों के विकास के बाद, यह ताड़ के पत्तों और पेड़ों की छाल का उपयोग करके लेखन का रूप ले लिया।

Answered by SharadSangha
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लॉकडाऊन दरम्यान ऑनलाइन अभ्यास -

  • आपण सर्वजण 21 व्या शतकाच्या समुद्रात बोटीने प्रवास करत आहोत जिथे सर्व काही वेगाने विकसित होत आहे आणि त्याचप्रमाणे शैक्षणिक प्रणाली आणि शाळा देखील आहेत. विद्यार्थी ज्ञान मिळविण्यासाठी, शिक्षक आणि मित्रांशी संवाद साधण्यासाठी आणि त्यांच्या कौशल्यांचा विकास करण्यासाठी विविध उपक्रमांमध्ये सहभागी होण्यासाठी शाळेत जातात परंतु अचानक कोविड -19 मुळे सर्व काही थांबते.
  • 24 मार्च रोजी संपूर्ण देशासाठी लॉकडाऊन जाहीर करण्यात आला. सर्व काही थांबते आणि शाळा आणि अभ्यास. शाळांना तोंड देण्यासाठी एक नवीन आव्हान होते जे म्हणजे लॉकडाऊन दरम्यान विद्यार्थ्यांचे होणारे नुकसान टाळण्यासाठी योग्य ऑनलाइन शिकवण्याची पद्धत आयोजित करणे.
  • इंटरनेट नेटवर्क शाळांना त्यांच्या विद्यार्थ्यांसाठी ऑनलाइन वर्ग आयोजित करण्यात मदत करते. शिक्षक आणि विद्यार्थी दोघेही झूम मीटिंग, गुगल मीट यासारख्या काही साइट्स वापरून एकमेकांशी संवाद साधू शकले आणि काही शाळांनी ऑनलाइन शिकवण्यासाठी त्यांच्या साइट तयार केल्या.
  • पण नाण्याला दोन तोंडे असतात. यांसारख्या अनेक समस्यांना ऑनलाइन शिकवण्यालाही सामोरे जावे लागले
  • नेटवर्क समस्या - अनेक वेळा शिक्षकांचे नेटवर्क कमकुवत होते आणि काहीवेळा विद्यार्थ्यांचे नेटवर्क कमकुवत होते. या नेटवर्क समस्येमुळे वर्गांची गुणवत्ता घसरते. विद्यार्थ्यांना व्याख्यान नीट ऐकता आले नाही आणि त्याच वेळी शिक्षकांनाही उच्च पातळीवर विद्यार्थ्यांशी संवाद साधता आला नाही.
  • विचलित होणे - विद्यार्थी त्यांच्या फोन आणि लॅपटॉपमुळे सहज विचलित होतात. वर्ग चालू असतानाच ते वेगवेगळ्या गोष्टी करू लागले. ऑनलाइन क्लासेस गांभीर्याने घेणारे विद्यार्थी खूपच कमी होते
  • ऑनलाइन परीक्षा - विद्यार्थ्यांना ऑनलाइन परीक्षा देताना खूप मजा आली कारण ते त्यांना काहीही कॉपी करण्याची सहज परवानगी देतात. फसवणूक करणे त्यांच्यासाठी सोपे होते आणि जसजसे विद्यार्थी फसवणुकीवर अधिक अवलंबून राहू लागले तसतसे त्यांची शिकण्याची क्षमता हळूहळू कमी होत गेली.
  • शारीरिक समस्या - आम्हाला माहित आहे की ही उपकरणे ऊर्जा उत्सर्जित करतात जी आमच्यासाठी चांगली नाही परंतु ऑनलाइन वर्ग प्रत्येक शिक्षक आणि प्रत्येक विद्यार्थ्याला फोनसमोर बहुतेक वेळ घालवण्यास भाग पाडतात.होय, ऑनलाइन वर्गांचे बरेच नुकसान होते परंतु तरीही, हा एक चांगला स्त्रोत होता जो विद्यार्थ्यांसाठी संपूर्ण दोन वर्षांचा अपव्यय टाळतो.

#SPJ3

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