'लॉकडाउन: जीने की नई राह' इस विषय पर 500 शब्दों का लेख तैयार करें l
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन करने का ऐलान किया था. लेकिन कुछ दिनों पहले से ही स्कूल और दफ़्तरों को बंद किए जाने का सिलसिला शुरू हो चुका था.
दिल्ली के आनंद विहार में 19 फरवरी को पीएम 2.5 का अधिकतम स्तर 404 आंका गया था जो बेहद ख़तरनाक माना जाता है. इस स्तर पर स्वस्थ लोगों को काफ़ी नुकसान होता है और बीमार लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ते हैं.
दिल्ली, प्रदूषण, कोरोना वायरस
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लेकिन इसके एक महीने बाद जब स्कूल और दफ़्तर बंद होना शुरू हो गए थे तब ये आँकड़ा 374 रह गया.
इसके दस दिन बाद लॉकडाउन जारी था तब ये आँकड़ा मात्र 210 रह गया. 5 अप्रैल को ये आँकड़ा मात्र 133 रह गया है.
और पूरे दिन का औसत मात्र 101 रहा.
यही नहीं, लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया पर दिल्ली से होकर गुज़रने वाली यमुना नदी की तस्वीरें वायरल हो रही हैं.
लॉकडाउन, कोरोना वायरस
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लॉकडाउन के बाद यमुना की स्थिति
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरनमेंट से जुड़ीं शाम्भवी शुक्ला मानती हैं कि ये एक ऐसा मौक़ा है जब लोगों को ये अहसास हुआ है कि दिल्ली की हवा साफ़ हो सकती है और साफ़ हवा में साँस लेना कैसा होता है.
वे कहती हैं, "एक शोध के मुताबिक़, दिल्ली के 40 फ़ीसदी वायु प्रदूषण के लिए गाड़ियों से निकलने वाला धुआँ ज़िम्मेदार है. अब जबकि लॉकडाउन की वजह से ज़्यादातर गाड़ियां सड़कों पर नहीं चल रही हैं तो इसका असर देखने को मिला है."
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लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से ये स्तर गिरकर 101 पर आ गया है.