लॉकडाउन की आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक स्थितियों पर निबंध
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कोरोना वायरस का दुनिया पर प्रभाव
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने भी एक अध्ययन में कहा है कि वैश्विक स्तर पर एक समन्वित नीति बनती है तो नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। चीन में जनवरी-फरवरी माह में 50 लाख लोगों ने कोरोना के आर्थिक दुष्प्रभाव के चलते नौकरी गंवा दी। वुहान, शंघाई समेत तमाम शहरों में कामबंदी और व्यापारिक गतिविधियां ठप हो जाने से यह नुकसान हुआ। चीन में बेरोजगारी दर भी जनवरी में 5.3 फीसदी के मुकाबले फरवरी में 6.2 फीसदी हो गई है। इसका असर चीन की विकास दर पर भी दिख सकता है।
दुनियाभर में तेजी के साथ फैल रहे घातक कोरोना वायरस ने वैश्विक अर्थव्यस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इसके चलते वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग और आपूर्ति दोनों पर असर पड़ा है। तेल की बढ़ी आपूर्ति और मांग में कमी के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की तरफ से कोरोना पर 24 जनवरी को हुई पहली बैठक के बाद से अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है।
कोरोना का दुनिया के व्यवसायों पर असर साफतौर पर देखा जा सकता है, जहां कंपनियां अपने ऑपरेशंस कम कर रही हैं, कर्मचारियों से यह कहा जा रहा है कि वे घरों से काम करें और उत्पादन के लक्ष्य को कम किया जा रहा है। ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकॉनोमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) ने अंतरिम आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में मार्च के पहले हफ्ते में कोविड के चलते वैश्विक जीडीपी में 50 बेसिस प्वाइंट (2019 में 2.9 प्रतिशत से 2.4 प्रतिशत) का अनुमान लगाया है। गौरतलब है कि 100 बेसिस प्वाइंट एक प्रतिशत प्वाइंट के बराबर है।