लॉकडाउन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव निबंध 150 से 250 में
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हाल ही में ‘कोरोना वायरस महामारी और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर इसके प्रभाव’ के अध्ययन ने इस तथ्य को उजागर किया है कि इस महामारी ने सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है तथा भारत की अर्थव्यवस्था भी इससे प्रभावित हो रही है।,
पहले से मुश्किलें झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कोरोना वायरस का हमला एक बड़ी मुसीबत लेकर आया है अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने एक अप्रैल से शुरू हो रहे वित्तीय वर्ष (2020-21) के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 5.2 प्रतिशत कर दिया गया है "जो घर के इस्तेमाल की चीज़ें हैं जैसे आटा, चावल, गेहूं, सब्ज़ी, दूध-दही वो तो लोग ख़रीदेंगे ही लेकिन लग्ज़री की चीज़ें हैं जैसे टीवी, कार, एसी, इन सब चीज़ों की खपत काफ़ी कम हो जाएगी. इसका एक कारण तो ये है कि लोग घर से बाहर ही नहीं जाएंगे इसलिए ये सब नहीं खरीदेंगे. दूसरा ये होगा कि लोगों के दिमाग़ में नौकरी जाने का बहुत ज़्यादा डर बैठ गया है उसकी वजह से भी लोग पैसा ख़र्च करना कम कर देंगे.
"वहीं, पर्यटन जितना ज़्यादा होता है हॉस्पिटैलिटी का काम भी उतनी ही तेज़ी से बढ़ता है. लेकिन, अब आगे लोग विदेश जाने में भी डरेंगे. अपने ही देश में खुलकर घूमने की आदत बनने में ही समय लग सकता है. ऐसे में पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र को बहुत बड़ा धक्का पहुंचेगा. सबसे बड़ी बात है कि ये महीने बच्चों की छुट्टियों के हैं लेकिन लोग कहीं घूमने नहीं जाएंगे.
आईएलओ के अनुसार कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर में ढाई करोड़ नौकरियां ख़तरे में हैं
कोरोना वायरस का असर पूरे दुनिया पर पड़ा है. चीन और अमरीका जैसे बड़े देश और मज़बूत अर्थव्यवस्थाएं इसके सामने लाचार हो गए हैं. इससे भारत में विदेशी निवेश के ज़रिए अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने की कोशिशों को भी धक्का पहुंचेगा. विदेशी कंपनियों के पास भी पैसा नहीं होगा तो वो निवेश में रूचि नहीं दिखाएंगी
हालांकि, जानकारों का कहना है कि अर्थव्यवस्था पर इन स्थितियों का कितना गहरा असर पड़ेगा ये दो बातों पर निर्भर करेगा. एक तो ये कि आने वाले वक़्त में कोरोना वायरस की समस्या भारत में कितनी गंभीर होती है और दूसरा कि कब तक इस पर काबू पाया जाता ह .