लाॅकडाउन के कारण पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा है 10 लाईन लिखे।
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जैसे ही देश के बड़े शहर लॉकडाउन की स्थिति में आए वहां प्रदूषण का स्तर नीचे आया है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के प्रदूषण को लेकर रोजाना विश्लेषण में सामने आया कि लॉकडाउन की वजह से अब तक दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बैंगलुरु की हवा में प्रदूषण का स्तर कुछ कम हुआ है।
वाहनों के सफर में कमी आई है और पैदल व साइकल से आसपास की दूरी तय करने के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। में
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सड़कें वीरान तो हैं, मगर मंज़र साफ़ हो गया है. सड़क किनारे लगे पौधे एकदम साफ़ और फूलों से गुलज़ार. यमुना नदी तो इतनी साफ़ कि पूछिए ही मत. सरकार हज़ारों करोड़ ख़र्च करके भी जो काम नहीं कर पाई लॉकडाउन के 21 दिनों ने वो कर दिखाया.
24 मार्च से भारत में लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण देश के कई हिस्सों में भी इंसानी गतिविधियों की रफ्तार थमी है और इस दौरान प्रकृति अपनी मरम्मत खुद करती नजर आ रही है. पंजाब के जालंधर में रहने वालों ने बीते दिनों ऐसी तस्वीरें साझा की हैं जिनमें वहां से लोगों को हिमाचल प्रदेश में स्थित धौलाधार पर्वत श्रृंखला की चोटियां दिख रहीं हैं.लॉकडाउन के बाद 27 मार्च से कुछ इलाकों में रूक-रूक के बारिश हो रही है. इससे हवा में मौजूद एयरोसॉल नीचे आ गए. यह लिक्विड और सॉलिड से बने ऐसे सूक्ष्म कण हैं, जिनके कारण फेफड़ों और हार्ट को नुकसान होता है. एयरोसॉल की वजह से ही विजिबिलिटी घटती है
जंगलों , नदियों, तालाबों और पहाड़ों को बचाना अब जरुरी है. ये रहेंगे तभी हमारा पर्यावरण स्वस्थ रहेगा और हम स्वस्थ रहेंगे.