Hindi, asked by ankurpalakgujral1, 9 months ago

लॉकडाउन
के मध्य दिहाड़ी मजदूर
की
स्थिति को लेकर दो नागरिकों के मध्य
संवाद ।​

Answers

Answered by kanwarsachin9
6

लॉकडाउन के मध्य दिहाड़ी मजदूर की स्थिति  

रामू : क्यों भाई, रमेश, इतने गुमसुम क्यों बैठे हो ?

रमेश: क्या बताऊँ भाई इस लॉकडाऊन ने तो सब बर्बाद कर दिया।

रामू: हाँ भाई, यह तो सच है, कहाँ हम औरों के लिए घर बनाते थे और मुझे नहीं याद कि शहर में रहते हमने कितनी बड़ी बड़ी इमारतों को बनाने के लिए काम किया है, लेकिन आज हम खुद ही बेघर हो गए ।

रमेश: जब में शहर काम के लिए गया था तो मेरा मालिक जो ठेकेदार है, कहता था तुम हमारे नौकर नहीं साथी हो और ऐसे काम करना जैसे अपने घर में ही काम कर रहे हो और जब भी कोई जरूरत हो बता देना। उसने ही इस बीमारी के कठिन समय में आकार बस यही कहा, रमेश जल्दी से जल्दी जगह खाली कर दो और अपने इंतजाम कहीं और कर लो।  

रामू : अरे तेरे मालिक ने यह तो कहा कि जल्दी से जल्दी खाली कर दो, लेकिन मेरा मालिक तो ऐसा निकला जिसने मेरे घर का समान बाहर सड़क पर ही फेंक दिया और कोई पैसा तक नहीं दिया।

रमेश: यार, आज मुझे अपने शहर जाकर काम करने पर बहुत मलाल होता है अगर उस समय अपने गाँव में ही कुछ धंधा कर लिया होता तो ऐसे ज़लील न होना पड़ता। मैंने तो सोच लिया है अब में गाँव में रहकर ही कुछ भी काम कर लूँगा लेकिन शहर नहीं जाऊंगा क्योंकि वहाँ इंसान नहीं एहसान फरामोश रहते हैं।

रामू: भाई वो तो ठीक है लेकिन यहाँ काम क्या करेंगे, पैसा भी तो चाहिए कुछ करने के लिए।

रमेश: वो सब में पता कर चुका हूँ, सरकार ने आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत छोटे उद्योगों को चलाने के लिए कम ब्याज पर ऋण देने का निर्णय लिया है इसलिए कोई भी छोटा सा उद्योग चला लेंगे। मेहनत करेंगे तो कमा भी लेंगे।

रामू: सही कहा भाई, में भी ऐसा ही करूंगा, इस बुरी परिस्थिति को हम अब अवसर के रूप में बदलकर ही रहेंगे और क्या पता भगवान भी चाहता है कि हम आत्मनिर्भर बनें ताकि भविष्य में हम किसी के आगे ज़लील ना किए जाएँ और अगर मेहनत करेंगे तो हम नहीं तो हमारे बच्चे तो एक अच्छी ज़िंदग्री जी पाएंगे।

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