लाकडाउन के दौरान आप अपने परिवार के साथ किस प्रकार समय व्यतीत कर रहे हैं| 300 शब्दों में अपने विचार व्यक्त कीजिए|
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wese me phele apne baare me btana chahugi me ek student hu or me hostel me rehti hu jaise hi Corona ki khabar mere college me aayi wese hi ham sabki chutti ho gyi or Hume ghr bhez Diya gya kuch samay baad pm modi ji ne lockdown krdiya wese to Hume dukh hua ki corona phel RHA hai lkin had se jyada Khushi ho rhi thi ki mujhe Ghar rehne ka itne din moka Mila bhut acha lgrha hai ghr subhah me or mere papa morning walk PR jate hai phir din me mummy ke sath samay vyatith krti hu unka grah karya me sahyog krti hu unse baate krti hu Jo kafi acha lgta hai phir kuch samay me apne potho ke sath bitati hu Jo men lockdown me lgaye hai Meri gallery abhi lockdown me bhut samay hai Hume uska sahi upyog krna chahiye sham ko Meri pdai rehti hai vo krti hu phir mummy ke sath ghumne jati hu evening walk phir kuch tv , mobile kuch der phir sojate hai lkin sabse acha mujhe lgta hai mere plants ke sath jinse me roj puchti hu aj kaise ho tum sb or mere plants bolte hai bhut Kam pollution hota hai earth PR lkin unko nahi pta yeh lockdown ki vajh se hua hai Hume sath milkr hamare pariyawaran ka Dyan rakhna hoga jaise ki bhut saaf ho gya hai pollution bhut Kam ho gya lkin jaise hi lockdown khulega tb Hume bhut sambhal krr jaha tk ho sake Kam se Kam pollution phelaye jagrukta phelaye ki pollution Kam kare
thank you
Explanation:
महिलाओं की आवाज़
म्लाम्बो-एनगीका कहती हैं, "कई देशों में समाज के कमज़ोर और ग़रीब तबक़े से ताल्लुक़ रखने वाली महिलाओं के लिए अपने जीवनसाथी के हाथों उत्पीड़न की शिकायत कर पाना क़रीब क़रीब नामुमकिन होता है. इसकी वजह साफ़ है."
"क्योंकि विकासशील देशों की ये ग़रीब महिलाएं, अपना उत्पीड़न करने वाले मर्दों के साथ एक या दो कमरों के मकान में रहने को मजबूर होती हैं. हम ये उम्मीद कर रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान, उत्पीड़न के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाली महिलाओं की आवाज़ ख़ामोश रहेंगी. वो इसकी शिकायत नहीं कर पाएंगी और ये बेहद चिंता की बात है."
महिलाओं की आवाज़
म्लाम्बो-एनगीका कहती हैं, "कई देशों में समाज के कमज़ोर और ग़रीब तबक़े से ताल्लुक़ रखने वाली महिलाओं के लिए अपने जीवनसाथी के हाथों उत्पीड़न की शिकायत कर पाना क़रीब क़रीब नामुमकिन होता है. इसकी वजह साफ़ है."
"क्योंकि विकासशील देशों की ये ग़रीब महिलाएं, अपना उत्पीड़न करने वाले मर्दों के साथ एक या दो कमरों के मकान में रहने को मजबूर होती हैं. हम ये उम्मीद कर रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान, उत्पीड़न के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाली महिलाओं की आवाज़ ख़ामोश रहेंगी. वो इसकी शिकायत नहीं कर पाएंगी और ये बेहद चिंता की बात है."