Hindi, asked by jagdevkaler0506, 1 month ago

लॉकडाउन के दौरान तकनीकी साधनों के अभाव में पढ़ाई पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में प्राधानाचार्य जी की अवठाता करते हुए पत्र।​

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Answered by ruchathumar720
8

Answer:

लॉकडाउन में कक्षा की पढ़ाई के कई विकल्प तलाशे गए। ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई तो उन छात्रों के लिए अच्छी है जो साधन संपन्न हैं, लेकिन यूपी बोर्ड के छात्र इस लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई में साधनों को लेकर जूझते रहे हैं। अब, उनके लिए दूरदर्शन के माध्यम से स्वयंप्रभा जैसे कार्यक्रम वरदान साबित हो रहे हैं। मेरठ जैसे जिले में, जहां 10वीं और 12वीं कक्षा में 90 हजार छात्र-छात्रएं पढ़ते हैं। उनमें से बहुत से छात्रों के पास स्मार्टफोन या लैपटॉप की सुविधा भी नहीं है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के पास तो इसका लगभग अभाव है ही। इससे बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हो रहे थे। उन्हें टीवी पर एक अच्छा विकल्प मिला है। अब जब लॉकडाउन खत्म हो जाएगा, उस समय ऐसे प्लेटफार्म जरूरतमंद बच्चों के लिए एक शिक्षक की तरह मार्गदर्शन करते रहेंगे। ऐसी उम्मीद है।

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Answered by gs7729590
13

Answer:

{"लॉकडाउन में ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई तो उन छात्रों के लिए अच्छी है जो साधन संपन्न हैं लेकिन यूपी बोर्ड के छात्र इस लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई में साधनों को लेकर जूझते रहे हैं।"

"लॉकडाउन में कक्षा की पढ़ाई के कई विकल्प तलाशे गए। ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई तो उन छात्रों के लिए अच्छी है जो साधन संपन्न हैं, लेकिन यूपी बोर्ड के छात्र इस लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई में साधनों को लेकर जूझते रहे हैं। अब, उनके लिए दूरदर्शन के माध्यम से स्वयंप्रभा जैसे कार्यक्रम वरदान साबित हो रहे हैं।"

" मेरठ जैसे जिले में, जहां 10वीं और 12वीं कक्षा में 90 हजार छात्र-छात्रएं पढ़ते हैं। उनमें से बहुत से छात्रों के पास स्मार्टफोन या लैपटॉप की सुविधा भी नहीं है।"

" खासकर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के पास तो इसका लगभग अभाव है ही। इससे बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हो रहे थे। उन्हें टीवी पर एक अच्छा विकल्प मिला है। "

"अब जब लॉकडाउन खत्म हो जाएगा, उस समय ऐसे प्लेटफार्म जरूरतमंद बच्चों के लिए एक शिक्षक की तरह मार्गदर्शन करते रहेंगे। ऐसी उम्मीद है।"}

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