लोकगीतों की कौन सी भाषा होती है
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चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के पूरबी और बिहार के पश्चिमी जिलों में गाए जाते हैं। बाउल और भतियाली बंगाल के लोकगीत हैं। पंजाब में माहिया आदि इसी प्रकार के हैं। हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल संबंधी गीत पंजाबी में और ढोला-मारू आदि के गीत राजस्थानी में बड़े चाव से गाए जाते हैं।
bikramsaran3950:
आश्रम में भोजन कौन परोसता था
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लोकगीतों की रचना गाँव के लोगों ने ही की है। इनके लिए विशेष प्रयत्न की आवश्यकता नहीं पड़ती। ये त्योहारों और विशेष अवसरों पर साधारण ढोलक और झाँझ आदि की सहायता से गाए जाते हैं। इसके लिए विशेष प्रकार के वाद्यों की आवश्यकता नहीं होती।
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