Hindi, asked by Sujan5336, 10 months ago

लोकगीत किसके प्रतीक है?

Answers

Answered by abduljaved68
28

Answer:

लोकगीत हमारे संस्कृति, जीवन विधान, सभ्यता, और सदाचार के प्रतीक हैं। इन्हें किसी शुभ अवसर पर गांव में गाया जाता है।

ये गांव में बहुत प्रचलित होते हैं।

Answered by sharwankumarjakhar
9

Answer:

लोकगीत लोक के गीत हैं। जिन्हें कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा लोक समाज अपनाता है। सामान्यतः लोक में प्रचलित, लोक द्वारा रचित एवं लोक के लिए लिखे गए गीतों को लोकगीत कहा जा सकता है। लोकगीतों का रचनाकार अपने व्यक्तित्व को लोक समर्पित कर देता है। शास्त्रीय नियमों की विशेष परवाह न करके सामान्य लोकव्यवहार के उपयोग में लाने के लिए मानव अपने आनन्द की तरंग में जो छन्दोबद्ध वाणी सहज उद्भूत करता हॅ, वही लोकगीत है।[1]

इस प्रकार लोकगीत शब्द का अर्थ हॅ-

१- लोक में प्रचलित गीत

२- लोक-रचित गीत

३- लोक-विषयक गीत

कजरी, सोहर, चैती, लंगुरिया आदि लोकगीतों की प्रसिद्ध शैलियाँ हैं।

परिचय संपादित करें

=== संस्कार गीत भक्ति,भजन तथा श्रधा से गया जाने वाला गीत है जो बालक-बालिकाओं के जन्मोत्सव,

मुण्डन, पूजन, जनेऊ, विवाह, आदि अवसरों पर गाये जाने वाले संस्कार गीत हैं - सोहर, खेलौनो, कोहबर, समुझ बनी, आदि। के अवसर पर गाया जाता है।

गाथा-गीत/ लोकगाथा संपादित करें

विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित विविध लोकगाथाओं पर आधारित इन गाथा-गीतों को निम्न श्रेणियों में श्रेणीबद्ध किया जा सकता है -

आल्हा-

ढोला-

भरथरी -

नरसी भगत-

घन्नइया-

लोरिकायन - वीर रस से परिपूर्ण इस लोकगाथा में गायक लोरिक के जीवन-प्रसंगों का जिस भाव से वर्णन करता है, वह देखते-सुनते ही बनता है।

नयका बंजारा - विभिन्न क्षेत्रों में गाये जाने वाले लोक गीतों में प्रायः विषय-वस्तु तो एक ही होती है, किन्तु स्थान, पात्र तथा चरित्रों में विविघता के दर्शन होते हैं।

विजमैल - राजा विजयमल की वीरता का बखान करने वाली इस लोकगाथा में बढ़ा-चढ़ाकर प्रचलित गाथा का वर्णन किया जाता है।

सलहेस - एक लोककथा के अनुसार, सलहेस, दौना नामक एक मालिन का प्रेमी था। उसके एक शत्रु ने ईर्ष्यावश सलहेस को चोरी के झूठे आरोप में बन्द बनवा दिया। दौना मालिन ने अपने प्रेमी सलहेस को किस प्रकार मुक्त कराया। बस इसी प्रकरण को इस लोक-गीत में भाव-विभोर होकर गया जाता है।

दीना भदरी - इस लोक-गीत में दीना तथा भदरी नामक दो भाइयों के वीरता का वर्णन मार्मिकता से गाया जाता है। इसके साथ ही राज्य के विभिन्न अंचलों में आल्हा-ऊदल, लाला हरदौल बुंदेला, राजा ढोलन सिंह, छतरी चौहान, नूनाचार, लुकेसरी देवी, कालिदास, मनसाराम, छेछनमल, लाल महाराज, गरबी दयाल सिंह, मीरायन, हिरनी-बिरनी, कुंअर बृजभार, राजा विक्रमादित्य, बिहुला, गोपीचन्द, अमर सिंह, बरिया, राजा हरिश्चन्द्र, कारू खिर हैर, मैनावती आदि के जीवन एवं उनकी वीरता भरी गाथाओं को राज्य के गाथा-गीतों के रूप में गाया जाता है।

Explanation:

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