लोकमान्य तिलक ने अपने सिद्धांत की घोषणा इनके सामने की।
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Lokmanya Tilak Siddhant ki Ghoshna Ke Samne ki
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एक बार जब 1896 में गांधीजी भारत आए तो पहले पुणे पहुंचे, दरअसल उनको पता था कि कांग्रेस के दो मुख्य धड़े हैं, उनको दोनों से मिलना था. पुणे में तिलक भी थे और गोखले भी, गोखले से गांधीजी सहज थे, तभी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मान लिया था, बाद में हर बात मे उनकी ही सलाह मानते थे, गोखले को दक्षिण अफ्रीका भी बुलाया था.
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