लोकसभा कार्यपालिका पर कारगर ढंग से नियंत्रण रखने की नहीं बल्कि जनभावनाओं और जनता की अपेक्षाओं की अभिव्यक्ति का मंच है। क्या आप इससे सहमत हैं? कारण बताएँ।
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Answer with Explanation:
लोकसभा कार्यपालिका पर कारगर ढंग से नियंत्रण रखने की नहीं बल्कि जनभावनाओं और जनता की अपेक्षाओं की अभिव्यक्ति का मंच है क्योंकि लोकसभा में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि शामिल होते हैं तथा उनके द्वारा जो विषय उठाए जाते हैं और जनता की भावनाओं के अनुरूप होते हैं लोकसभा के सदस्यों का कार्य जनता की शिकायतों को सरकार तक पहुंचाना है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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लोकसभा कार्यपालिका को राज्यसभा की तुलना में क्यों कारगर ढंग से नियंत्रण में रख सकती है?
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आलोक मानता है कि किसी देश को कारगर सरकार की जरूरत होती है जो जनता की भलाई करे। अत: यदि हम सीधे-सीधे अपना प्रधानमंत्री और मंत्रिगण चुन लें और शासन का काम उन पर छोड़ दें, तो हमें विधायिका की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण बताएँ।
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चार साल पहले संपादित कियासमीक्षा करें:
भारतीय संसद में लोक सभा जनप्रतिनिधियों का घर है जो जनता द्वारा सीधे चुने जाते हैं। इसलिए संबंधित प्रतिनिधि संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा ये प्रतिनिधि स्थानीय अपेक्षाओं और उनकी भावनाओं को व्यक्त करने के साधन के रूप में कार्य करते हैं।
हालाँकि हमारे संसदीय लोकतंत्र में कार्यपालिका को ऐसे दलों या पार्टियों के गठबंधन से खींचा जाता है जिनके पास लोक सभा में बहुमत होता है। तो सर्वोच्च बहुमत वाली पार्टी अपने बहुमत का उपयोग कार्यपालिका को परम और मनमानी शक्तियों का प्रयोग करने के लिए कर सकती है। ऐसी स्थिति में संसदीय लोकतंत्र कैबिनेट तानाशाही के रूप में खिसक सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए संविधान के प्रारूपकर्ताओं ने प्रश्नकाल, शून्यकाल के माध्यम से कार्यपालिका को नियंत्रित करने के लिए संविधान में प्रावधान प्रदान किए हैं