लोकसभा के सदस्यों का चयन कैसे होता है
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Explanation:
लोकसभा की पहली बैठक में अस्थायी (प्रोटेम) अध्यक्ष किसे और क्यों बनाया जाता है..
किसी भी आम चुनाव के पश्चात जब लोकसभा पहली बार बैठक के लिए आमंत्रित की जाती हे तो राष्ट्रपति लोकसभा के किसी सदस्य को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त करता है। सामान्यतया, वरिष्ठतम सदस्य को इस हेतु चुना जाता है। अस्थायी अध्यक्ष सदन की अध्यक्षता करता है, जिससे नए सदस्य शपथ आदि लेकर संसदीय कार्यों में भागीदारी हेतु अर्ह बन सकें और अपना नया स्थायी अध्यक्ष चुन सकें।
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संविधान के अनुसार यह अपेक्षित है कि लोकसभा प्रथम बैठक के पश्चात जितना जल्दी हो सके, सदन के दो सदस्यों को, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेगी।
अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए निर्धारित तिथि से एक दिन पूर्व कोई भी सदस्य किसी भी अन्य सदस्य को अध्यक्ष चुने जाने के लिए प्रस्ताव दे सकता है कि उसको अध्यक्ष चुना जाए। उस सूचना में जिस सदस्य के नाम का प्रस्ताव किया गया हो, उस सदस्य का बयान भी भेजा जाना आवश्यक है कि निर्वाचित किए जाने पर वह अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए तैयार है।
सामान्यतया सत्ताधारी दल द्वारा चुने गए उम्मीदवार के निर्वाचन के लिए प्रस्ताव की सूचना प्रधानमंत्री द्वारा या संसदीय कार्यमंत्री द्वारा महासचिव के माध्यम से भेजी जाती है।
लोकसभा के महासचिव के माध्यम से प्रधानमंत्री का सुझाव प्राप्त होने पर राष्ट्रपति अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए तिथि का अनुमोदन करता है। इसके बाद महासचिव उस तिथि की सूचना उसके प्रत्येक सदस्य को भेजता है।
प्रस्तावों के नियमानुकूल पाए जाने पर सभी सूचनाएं कार्यसूची में उसी क्रम में दर्ज की जाती हें, जिसमें वे समयानुसार प्राप्त हुई हों।
निर्वाचन के लिए निर्धारित दिन को, जिस सदस्य के नाम में कार्यसूची का प्रस्ताव होता है उसे प्रस्ताव पेश करने के लिए कहा जाता है। वह चाहे तो प्रस्ताव को वापस भी ले सकता है।
जो प्रस्ताव पेश किए जाते हैं और विधिवत समर्थित किए जाते हैं, उन्हें उसी क्रम में जिसमें वे पेश किए गए हों, एक एक करके सदन में मतदान के लिए रखा जाता है।
जैसे ही कोई प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है, पीठासीन अधिकारी, अन्य प्रस्ताव को मतदान के लिए रखे बिना घोषणा करता है कि स्वीकृत प्रस्ताव में जिस सदस्य के नाम का प्रस्ताव किया गया है, उसे सदन का अध्यक्ष चुना गया है।
अध्यक्ष अपना पद रिक्त कर देगा,
यदि वह लोकसभा का सदस्य नहीं रहे
यदि वह अपना त्यागपत्र उपाध्यक्ष को भेज दे।
यदि लोकसभा के तत्कालीन सदस्यों द्वारा समस्त सदस्यों के बहुमत द्वारा उसे पद से हटाने के लिए संकल्प पास कर दिया जाए।
अध्यक्ष सदन के भंग हो जाने के पश्चात भी नए सदन की पहली बैठक होने से ठीक पहले तक अपने पद पर बना रहता है।
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