लोकतंत्र की आर्थिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए लॉन्ग आंसर
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लोकतंत्र जनता द्वारा निर्वाचित शासन का एक रूप सामाजिक जीवन की एक पद्धति एक आर्थिक ढाँचा, जनता के अधिकारों की एक प्रयोगशाला तथा शासन की एक कला है। इसके विभिन्न प्राथमिकताओं का उल्लेख निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है
लोकतंत्र जनता द्वारा निर्वाचित शासन का एक रूप सामाजिक जीवन की एक पद्धति एक आर्थिक ढाँचा, जनता के अधिकारों की एक प्रयोगशाला तथा शासन की एक कला है। इसके विभिन्न प्राथमिकताओं का उल्लेख निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है(i) लोकतंत्र जनता का शासन है। यह शासन का वह रूप है, जिसमें जनता के द्वारा ही शासकों का चयन होता है।
लोकतंत्र जनता द्वारा निर्वाचित शासन का एक रूप सामाजिक जीवन की एक पद्धति एक आर्थिक ढाँचा, जनता के अधिकारों की एक प्रयोगशाला तथा शासन की एक कला है। इसके विभिन्न प्राथमिकताओं का उल्लेख निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है(i) लोकतंत्र जनता का शासन है। यह शासन का वह रूप है, जिसमें जनता के द्वारा ही शासकों का चयन होता है।(ii) जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में निर्णय लेने का अधिकार होता है।
लोकतंत्र जनता द्वारा निर्वाचित शासन का एक रूप सामाजिक जीवन की एक पद्धति एक आर्थिक ढाँचा, जनता के अधिकारों की एक प्रयोगशाला तथा शासन की एक कला है। इसके विभिन्न प्राथमिकताओं का उल्लेख निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है(i) लोकतंत्र जनता का शासन है। यह शासन का वह रूप है, जिसमें जनता के द्वारा ही शासकों का चयन होता है।(ii) जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में निर्णय लेने का अधिकार होता है।(iii) अल्पसंख्यकों के हितों पर ध्यान देना आज के लोकतांत्रिक की पुकार है। अत: लोकतंत्र को बहुमत की तानाशाही से दूर रहना चाहिए।
लोकतंत्र जनता द्वारा निर्वाचित शासन का एक रूप सामाजिक जीवन की एक पद्धति एक आर्थिक ढाँचा, जनता के अधिकारों की एक प्रयोगशाला तथा शासन की एक कला है। इसके विभिन्न प्राथमिकताओं का उल्लेख निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है(i) लोकतंत्र जनता का शासन है। यह शासन का वह रूप है, जिसमें जनता के द्वारा ही शासकों का चयन होता है।(ii) जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में निर्णय लेने का अधिकार होता है।(iii) अल्पसंख्यकों के हितों पर ध्यान देना आज के लोकतांत्रिक की पुकार है। अत: लोकतंत्र को बहुमत की तानाशाही से दूर रहना चाहिए।(iv) निर्वाचन के माध्यम से जनता को शासकों को बदलने का पर्याप्त अवसर प्राप्त होता है।
लोकतंत्र जनता द्वारा निर्वाचित शासन का एक रूप सामाजिक जीवन की एक पद्धति एक आर्थिक ढाँचा, जनता के अधिकारों की एक प्रयोगशाला तथा शासन की एक कला है। इसके विभिन्न प्राथमिकताओं का उल्लेख निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है(i) लोकतंत्र जनता का शासन है। यह शासन का वह रूप है, जिसमें जनता के द्वारा ही शासकों का चयन होता है।(ii) जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में निर्णय लेने का अधिकार होता है।(iii) अल्पसंख्यकों के हितों पर ध्यान देना आज के लोकतांत्रिक की पुकार है। अत: लोकतंत्र को बहुमत की तानाशाही से दूर रहना चाहिए।(iv) निर्वाचन के माध्यम से जनता को शासकों को बदलने का पर्याप्त अवसर प्राप्त होता है।(v) सत्ता में जितनी अधिक भागीदारी बढ़ेगी, लोकतंत्र उतना ही अधिक सशक्त होगा। अतः सत्ता में भागीदारी का अवसर सभी को बिना किसी भेदभाव के मिलना चाहिए।
लोकतंत्र जनता द्वारा निर्वाचित शासन का एक रूप सामाजिक जीवन की एक पद्धति एक आर्थिक ढाँचा, जनता के अधिकारों की एक प्रयोगशाला तथा शासन की एक कला है। इसके विभिन्न प्राथमिकताओं का उल्लेख निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है(i) लोकतंत्र जनता का शासन है। यह शासन का वह रूप है, जिसमें जनता के द्वारा ही शासकों का चयन होता है।(ii) जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में निर्णय लेने का अधिकार होता है।(iii) अल्पसंख्यकों के हितों पर ध्यान देना आज के लोकतांत्रिक की पुकार है। अत: लोकतंत्र को बहुमत की तानाशाही से दूर रहना चाहिए।(iv) निर्वाचन के माध्यम से जनता को शासकों को बदलने का पर्याप्त अवसर प्राप्त होता है।(v) सत्ता में जितनी अधिक भागीदारी बढ़ेगी, लोकतंत्र उतना ही अधिक सशक्त होगा। अतः सत्ता में भागीदारी का अवसर सभी को बिना किसी भेदभाव के मिलना चाहिए।(vi) लोकतंत्र को जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद जैसे दुर्गुणों से मुक्त किया जाना चाहिए। ये तत्त्व राष्ट्रीय एकीकरण के मार्गों में बाधक होते हैं।
लोकतंत्र जनता द्वारा निर्वाचित शासन का एक रूप सामाजिक जीवन की एक पद्धति एक आर्थिक ढाँचा, जनता के अधिकारों की एक प्रयोगशाला तथा शासन की एक कला है। इसके विभिन्न प्राथमिकताओं का उल्लेख निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है(i) लोकतंत्र जनता का शासन है। यह शासन का वह रूप है, जिसमें जनता के द्वारा ही शासकों का चयन होता है।(ii) जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में निर्णय लेने का अधिकार होता है।(iii) अल्पसंख्यकों के हितों पर ध्यान देना आज के लोकतांत्रिक की पुकार है। अत: लोकतंत्र को बहुमत की तानाशाही से दूर रहना चाहिए।(iv) निर्वाचन के माध्यम से जनता को शासकों को बदलने का पर्याप्त अवसर प्राप्त होता है।(v) सत्ता में जितनी अधिक भागीदारी बढ़ेगी, लोकतंत्र उतना ही अधिक सशक्त होगा। अतः सत्ता में भागीदारी का अवसर सभी को बिना किसी भेदभाव के मिलना चाहिए।(vi) लोकतंत्र को जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद जैसे दुर्गुणों से मुक्त किया जाना चाहिए। ये तत्त्व राष्ट्रीय एकीकरण के मार्गों में बाधक होते हैं।(vii) लोकतंत्र में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।