लोकतंत्र के हानि और लाभ बताइए |
Answers
Answer:
मित्रों ! ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि लोकतंत्र से केवल लाभ ही होता है, लाभ के साथ इससे नुकसान भी है।
जैसे लोकतंत्र के गुण निम्नलिखित है:-
1. जनहित :- लोकतंत्र शासन को जनता के कल्याण, विकास व सुविधा का प्रतीक माना जाता है। लोकतंत्र में शासन की नीतियाँ, कार्यक्रमों, आदेशों के माध्यम से सर्वसाधारण का अधिक- से-अधिक जनहित करने का प्रयास किया जाता है।
2. राजनीतिक प्रशिक्षण :- लोकतंत्र, सर्वसाधारण को राजनीतिक प्रशिक्षण भी देता है। लोकतंत्र में संचार के साधनों, प्रेस, दूरदर्शन आदि का प्रयोग व्यापक तरीके से किया जाता है। लोकतंत्र में राजनीतिक दल, राजनेता, दबाव समूह और संगठन सक्रिय रूप से कार्य करते हैं। राजनीतिक दल जनता की इच्छाओं, आकांक्षाओं को सरकार के सामने रखते हैं। सरकार इन पर नीतियाँ बनाते हुए समस्त राजनीतिक गतिविधियों के बारे में जानकारी जनता को उपलब्ध करवाती है। इसमें समानता स्थापित करने के प्रयास किये जाते हैं।
3. नैतिकता का विकास :- लोकतंत्र में राष्ट्रीय चरित्र व नैतिकता का विकास नागरिकों में होना चाहिए। राष्ट्रप्रेम, देश – भक्ति, त्याग, बलिदान, सेवा और सहनशीलता आदि गुणों का विकास नागरिकों को राष्ट्र से जोड़े रखने का प्रयास करता है। लोकतंत्र उच्च गुणों का विकास करने का प्रयास करता है। नैतिकता लोकतंत्र को भ्रष्ट होने से रोकती है। नैतिकता से नागरिकों में आत्मविश्वास की भावना जागृत होती है। लोकतंत्र में अच्छे आदर्शों का संकल्प दोहराया जाता है।
4. क्रान्ति का आभाव :- लोकतंत्र में लोकतांत्रिक पद्धतियों को महत्व दिया जाता है। जनता के आपसी विवादों, मनमुटाव और झगडे हल करने के लिए लोकतांत्रिक पद्धति का ही सहारा लिया जाता है, इसमें हिंसा, खून-खराबा और असंवैधानिक तरीको का प्रयोग वर्जित है। लोकतंत्र में यदि शासक-वर्ग जनता पर लंबे समय तक अत्याचार करता है तो जनता लोकतांत्रिक तरीके से परिवर्तन करती है। हिंसा का सहारा परिवर्तन करने के लिए नहीं लेती है।
5. सांस्कृतिक एकता :- लोकतंत्र अनेक जातियो समुदायों, वर्गों, संगठनों के बीच सांस्कृतिक एकता स्थापित करने का प्रयास करता है। उदारवादी दृष्टिकोण अपनाते हुए समन्वय जोड़-तोड़, सुलह का प्रतीक लोकतंत्र माना जाता है। लोकतंत्र सबके हितों की बात करता है। सबके कल्याण की सोचता है। सबको साथ लेकर आगे बढ़ने की बात ही सांस्कृतिक लोकतंत्र की स्थापना का आधार है। इसमें कला, साहित्य, संस्कृति को समान दृष्टि से बरकरार रखने का प्रयास किया जाता है।
6 . जन - सहयोग :- लोकतंत्र में जन सहयोग के बिना कोई कार्य सम्पन्न नहीं होता है। जनता आर्थिक विकास के लिए आर्थिक मदद देती है। राष्ट्र के रचनात्मक विकास एवं निर्माण को लिए श्रमदान करती है। लोकतंत्र, सहयोग का प्रतीत ही नहीं है बल्कि जनता में जन - सहयोग की भावना उत्पन्न करने का एकमात्र साधन है। लोकतंत्र में राष्ट्रीय समस्याओं को हल करने के लिए जन–सहयोग की आशा की जाती है। जनसाधारण में ऐसे भी लोग होते हैं जो जीवनपर्यन्त लोकतंत्र को समर्पित होते है। गरीबों की सेवा, प्राकृतिक विपदाओं आदि में जन-सहयोग किया जाता है। इसमें मनुष्य राष्ट्रीय भावना से जुड़कर जन-सहयोग करना सीखता है।
लोकतंत्र के दोष - मित्रों ! लोकतंत्र के दोषों की विस्तृत व्याख्या निम्नलिखित है :-
1. राजनीति का राजनीतिकरण :- लोकतंत्र में राजनेता, जिन आदर्शो, मूल्यों की स्थापना के लिए राजनीति में आता है। वह शासन व्यवस्था में आने के बाद राजनीतिकरण का शिकार हो जाता है। एक बार शासन व्यवस्था में आने के बाद शासन व्यवस्था से अलग नहीं होना चाहता है। वह जीवनपर्यन्त लोकतंत्र से जुड़े रहना चाहता है। जनता के आदर्शों, मूल्यों के लिए दिखावे का व्यवहार करता है। जबकि सार्वजनिक जीवन में वह कुछ करना चाहता है। वह अपने आप को राजनीतिकरण के कारण असमर्थ पाता है। ऐसी स्थिति में लोकतंत्र सबका नहीं होकर सीमावृहद, अर्थों में सिमट कर रह जाता है। लोकतंत्र में सार्वजनिक राजनीति के स्थान पर व्यक्तिकरण की राजनीति बढ़ती चली जाती है। यही इसके दोषों को उत्पन्न करती चली जाती है।
2. व्यावहारिक सामाजिक समानता का अभावः - जिन देशो में लोकतंत्र की स्थापना हुई, उनमें अधिकांश रूप से यह देखने को मिलता है कि व्यावहारिक रूप से सामाजिक समानता कायम नहीं रहती है। ऊंच - नीच, गरीबी – अमीरी, वर्ग – संघर्ष, तरीके और आर्थिक असमानताओं के कारण सामाजिक समानता कभी स्थापित नहीं होती है।
3. अयोग्य व्यक्तियों का शासन : - अरस्तू ने लोकतंत्र को विकृत रूप मानते हुए इसे अयोग्य शासन माना गया था। लोकतंत्र में जो व्यक्ति, नेता, राजनीतिज्ञ शामिल होते हैं वे अयोग्य इसलिए माने जाते हैं कि उन्हें राजनीति का सघन प्रशिक्षण प्राप्त नहीं होता है। केवल मात्र साधारण योग्यता के आधार पर शासन व्यवस्था में भर्ती होना ही, अयोग्यता का द्योतक है। लोकतंत्र में धन, शक्ति के आधार पर अयोग्य व्यक्ति शासन में प्रवेश करते हैं इसलिए लोकतंत्र में अयोग्य व्यक्तियों की भीड़ पायी जाती है। लेकी ने भी इस सम्बन्ध में लिखा है, " लोकतंत्र में गुणों की अपेक्षा मतों की संख्या को अधिक महत्व दिया जाता है। मत गिने जाते हैं, तोले नहीं जाते। लोकतंत्र में शासन अज्ञानियों, अशिक्षितों एवं अयोग्य व्यक्ति के हाथों में होता है। यह भीड़ का शासन है। "
4. भ्रष्टाचार : - लोकतंत्र में राजनीतिक दल भ्रष्टाचार उत्पन्न करते है। झूठ का सहारा लेकर, सच्चाई का सहारा लिया जाता है। नेताओं का नैतिक स्तर गिर जाता है। प्रशासन और शासन दोनों में भ्रष्टाचार व्याप्त होता है। इसमें सामान्य रीति - रिवाजों, परम्पराओं का भी हनन होने लगता है।
Answer:
लोकतंत्र के लाभों की सूची
1. यह नागरिकों के हितों की सुरक्षा करता है
जैसा कि पहले कहा गया था, लोकतांत्रिक देश में नागरिकों को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर विशेष रूप से उन प्रतिनिधियों को वोट देने का अधिकार दिया जाता है, जिन्हें वे प्रमुख निर्णय लेने के प्रभारी बनना चाहते हैं, जैसे राष्ट्रपति यह लोगों को किसी भी चीज से बचाने के लिए बहुत कुछ बचा सकता है।
2. यह प्राधिकरण के एकाधिकार को रोकता है।
तथ्य यह है कि सरकार एक निर्वाचन अवधि से जुड़ी हुई है जहां पार्टियां सत्ता हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा करती हैं, लोकतंत्र शासक प्राधिकरण के एकाधिकार को रोकता है। और निर्वाचित सत्तारूढ़ पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि उनकी नीतियां लोगों के लिए काम करेगी, क्योंकि वे खराब रिकॉर्ड के साथ अपने कार्यकाल के बाद सत्ता में नहीं बने रहेंगे-वे फिर से निर्वाचित नहीं होंगे।
3. यह समानता को बढ़ावा देता है
आम तौर पर, लोकतंत्र समानता के शासन पर आधारित होता है, जिसका अर्थ है कि सभी लोगों के बराबर कानून का संबंध है। प्रत्येक व्यक्ति को समान राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकारों का अनुभव करने और आनंद लेने का अधिकार है, और राज्य को लिंग, वर्ग, धर्म और संपत्ति के मानक पर उसे भेदभाव करने की अनुमति नहीं है।
1. यह सार्वजनिक धन और समय के दुरुपयोग की अनुमति दे सकता है
डेमोक्रेटिक सरकारें व्यर्थ समय और संसाधनों का नेतृत्व कर सकती हैं, इस पर विचार कर सकते हैं कि कानून बनाने के लिए इसमें बहुत अधिक समय लगता है और चुनावों के दौरान खर्च किए जाने के लिए बहुत पैसा जरूरी है। यह भी अत्यधिक संभव है कि देश को अक्षम और गैर जिम्मेदाराना नेताओं द्वारा शासित किया जाएगा जो सिर्फ सार्वजनिक धन खर्च अपने स्वयं के पर्यटन और मनोरंजन के लिए करेंगे।
2. यह भ्रष्टाचार को उकसाता है
जो लोग सत्ता के लिए चुने गए हैं वे निजी हितों के लिए अनैतिक साधनों का सहारा ले सकते हैं और भ्रष्ट प्रथाओं में शामिल हो सकते हैं। कार्यालय में अपने कार्यकाल के दौरान, वे व्यक्तिगत लाभ के लिए प्राधिकरण का लाभ ले सकते हैं, पीससीट पर जनता के हितों को डाल सकते हैं।
3. यह सार्वजनिक नौकरों की गलत पसंद का खतरा है।
सच कहा जा सकता है, लोकतांत्रिक सरकार के तहत सभी व्यक्तियों को अपने देश में राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों से अवगत नहीं है। एक मतदान प्रणाली में, बहुमत जीत जाता है, और साक्षर और अशिक्षित द्वारा डाली गई मतों के बीच कोई अंतर नहीं होता है। लोग शुद्ध और आवश्यक क्षमता के अलावा अन्य कारकों के आधार पर उम्मीदवार का पक्ष ले सकते हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए, निर्वाचित आधिकारिक हमेशा सीट के लिए