लोकतंत्र के क्रियात्मक और ठोस आयामो को विस्तार से बताये
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लोकतंत्र (शाब्दिक अर्थ "लोगों का शासन", संस्कृत में लोक, "जनता" तथा तंत्र, "शासन",) या प्रजातंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था और लोकतांत्रिक राज्य दोनों के लिये प्रयुक्त होता है। यद्यपि लोकतंत्र शब्द का प्रयोग राजनीतिक सन्दर्भ में किया जाता है, किन्तु लोकतंत्र का सिद्धान्त दूसरे समूहों और संगठनों के लिये भी संगत है। मूलतः लोकतंत्र भिन्न-भिन्न सिद्धान्तों के मिश्रण से बनते है।
अनुक्रम
1 लोकतंत्र के प्रकार
1.1 प्रतिनिधि लोकतंत्र
1.2 उदार लोकतंत्र
1.3 प्रत्यक्ष लोकतंत्र
2 भारत में लोकतंत्र के प्राचीनतम प्रयोग
3 लोकतंत्र की अवधारणा
4 लोकतंत्र का पुरातन उदारवादी सिद्धान्त
5 लोकतंत्र का अभिजनवादी सिद्धान्त
6 लोकतंत्र का बहुलवादी सिद्धान्त
7 लोकतंत्र का सहभागिता सिद्धान्त
8 लोकतंत्र का मार्क्सवादी सिद्धान्त
9 लोकतंत्र की आवश्यकता
10 इन्हें भी देखें
11 बाहरी कड़ियाँ
लोकतंत्र के प्रकार
लोकतंत्र की परिभाषा के अनुसार यह "जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन है"। लेकिन अलग-अलग देशकाल और परिस्थितियों में अलग-अलग धारणाओं के प्रयोग से इसकी अवधारणा कुछ जटिल हो गयी है। प्राचीनकाल से ही लोकतंत्र के सन्दर्भ में कई प्रस्ताव रखे गये हैं, पर इनमें से कई कभी क्रियान्वित नहीं हुए।