Social Sciences, asked by gopalkunjam878, 12 days ago

लोकतंत्र का प्रमुख सूत्र कौन है​

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Answered by abhishekgaurav666
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Explanation:

लोकतंत्र में लोक का अर्थ जनता और तंत्र का अर्थ व्यवस्था होता है. अत: लोकतंत्र का अर्थ हुआ जनता का राज्य. यह एक ऐसी जीवन पद्धति है जिसमें स्वतंत्रता, समता और बंधुता समाज-जीवन के मूल सिद्धांत होते हैं. अंग्रेजी में लोकतंत्र शब्द को डेमोक्रेसी (Democracy) कहते है जिसकी उत्पत्ति ग्रीक मूल शब्द ‘डेमोस’ से हुई है. डेमोस का अर्थ है ‘जन साधारण’ और क्रेसी का अर्थ है ‘शासन’. ऐतिहासिक दृष्टि से अवलोकन करें तो भारत में लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली का आरंभ पूर्व वैदिक काल से ही हो गया था. प्राचीनकाल से ही भारत में सुदृढ़ लोकतांत्रिक व्यवस्था विद्यमान थी. इसके साक्ष्य प्राचीन साहित्य, सिक्कों और अभिलेखों से प्राप्त होते हैं.

ऐसा कहना गलत नहीं होगा की लोकतंत्र का सिद्धांत वेदों की ही देन हैं. सभा और समिति का उल्लेख ऋग्वेद एवं अथर्ववेद दोनों में मिलता हैं. जिसमें राजा, मंत्री और विद्वानों से विचार विमर्श करने के बाद ही कोई फैसला लेता था. इनके माध्यम से यह पता चलता है कि उस समय राजनीती कितनी ठोस हुआ करती थी क्योंकि सभा एवं समिति के निर्णयों को लोग आपस में अच्छे द्रष्टिकोण से निपटाते थे. यहाँ तक की विभिन्न विचारधारा के लोग कई दलों में बट जाते थे और आपसी सलाह मशवरा करके निर्णय लेते थे. कभी–कभी विचारों में मदभेद के कारण आपसी झगड़ा भी हो जाता था. अर्थात ऐसा कहना गलत नहीं होगा की वैदिक काल से ही द्विसदस्यीय संसद की शुरुआत मानी जा सकती है. इंद्र का चयन भी वैदिक काल में इन्हीं समितियों के कारण ही होता था. उस समय इंद्र एक पद हुआ करता था जिसे राजाओं का रजा कहा जाता था. गणतंत्र शब्द का प्रयोग ऋग्वेद में चालीस बार, अथर्ववेद में 9 बार और ब्राह्माण ग्रंथों में अनेक बार किया गया है. वैदिक काल के पतन के बाद राजतंत्रों का उदय हुआ और वही लंबे समय तक शासक रहे.

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