लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के चुनाव आयोग की भूमिका पर प्रकाश डालिए
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लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में चुनाव आयोग की भूमिका इस प्रकार है...
भारत का निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र संस्था है, जिसका मुख्य कार्य भारत में चुनाव संबंधी प्रक्रियाओं को संचालित करना है। स्वतंत्र चुनाव आयोग के निम्नलिखित कार्य हैं...
- चुनाव आयोग भारत में लोकसभा, राज्यसभा, समस्त राज्यों की विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव संबंधी प्रक्रिया को संचालित और सम्पन्न करता है।
- चुनाव आयोग का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण कार्य भारत में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के लिए आम चुनाव कराना है।
- चुनाव आयोग मतदाता सूची भी तैयार करवाता है तथा मतदाता पहचान पत्र भी जारी करता है।
- किसी भी चुनाव के समय मतदान और मतगणना केंद्रों के लिए स्थानों का चयन करना, मतदाताओं के लिए मतदान केंद्र तय करना तथा मतगणना व मतदान केंद्रों में सभी आवश्यक कार्यों की व्यवस्था करना चुनाव आयोग का कार्य है।
- चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को पंजीकृत भी करता है और मान्यता भी प्रदान करता है।
- चुनाव आयोग ही निर्धारित करता है कि कौन सा राष्ट्रीय दल है और कौन सा क्षेत्रीय दल है।
- चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ने हेतु चुनाव चिन्ह प्रदान करता है।
- चुनाव आयोग किसी प्रत्याशी की चुनाव लड़ने हेतु योग्यता व अयोग्यता संबंधी निर्णय भी लेता है।
- चुनाव आयोग चुनाव के समय राजनीतिक दलों के लिए चुनाव आचार संहिता भी जारी करता है, ताकि चुनाव के समय कोई भी विधि-विपरीत कार्य ना हो सके।
- चुनाव आयोग चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए चुनाव अभियान हेतु खर्च की सीमा भी निर्धारित करता है।
Answer:
चुनाव आयोग
भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना २५ जनवरी १९५० में हुई थी। इसलिए हर साल २५ जनवरी का दिन भारत में मतदार दिन के रूप में मनाया जाता है। भारतीय चुनाव आयोग यह भारत सरकार की एक स्वायत्त संस्थान है।
भारत में चुनाव के अंतर्गत कोई धोखाधड़ी ना हो, चुनाव की प्रक्रिया पारदर्शी हो, कोई भी राजनीतिक पार्टी असंविधानिक तरीकों से चुनाव प्रचार ना करे, चुनाव में कोई भी बाधा ना आए इसलिए भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना हुई है।
भारत में चुनाव आयोग चुनाव के प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाता है। यह चुनाव केंद्र स्थान में रहता है।
भारतीय चुनाव आयोग के कुछ निम्नलिखित है।
१. मतदारोंकी सूची बनाना और उसे अद्ययावत करना। नए नाम मतदार सूची में शामिल करना।
२. चुनाव प्रक्रिया का नियोजन करना। चुनाव का दिन और वक्त तय करना।
३. चुनाव में खड़े रहने वाले उम्मीदवारों की अरे जिओ की जांच पड़ताल करना।
४. राजनीतिक पक्षों को मंजूरी देना।
५. चुनाव संबंधित वाद-विवादोको सुलझाना।