लोकतांत्रिक व्यवस्था को तानाशाही से बेहतर क्यों माना जाता है ?
Answers
Explanation:
लोकतंत्र :
मेरे विचार में सच्चे लोकतंत्र से मायने ऐसे लोकतंत्र से है --- "जिस व्यवस्था में नागरिको के पास अपने प्रतिनिधियों और सेवको को बहुमत के प्रयोग द्वारा नौकरी से निकलने का अधिकार हो, दंड देने की सर्वोच्च शक्ति नागरिको के अधीन हो, संविधान की व्याख्या करने वाली अंतिम शक्ति नागरिको का बहुमत हो तथा 'आवश्यक' रूप से नागरिको के पास ऐसी प्रक्रिया भी हो जिसका प्रयोग करके नागरिक देश में लागू किये जाने वाले कानूनो पर अपनी राय रख सके"।
उदाहरण के लिए भारत में मतदाताओ के पास एक बार वोट करने के बाद पांच वर्ष से पहले अपने प्रतिनिधियों को नौकरी से निकालने का अधिकार नही है। यदि प्रतिनिधि प्रजा को नुकसान पहुंचाने वाले कानूनो को लागू करते है तो नागरिको के पास उन कानूनो पर अपनी असहमति दर्ज करवाने की भी कोई प्रक्रिया नही है। इतना ही नही, यदि पुलिस या अन्य शासकीय अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से नागरिको का उत्पीड़न किया जाता है या न्यायधीशों द्वारा उन्हें गैर वाजिब तरीके से दंड दिया जाता है तब भी भारत के करोड़ो नागरिको के पास इन अधिकारियों या न्यायधीशों को पद से हटाने या उन्हें दंड देने की शक्ति नही है। इस प्रकार अधिकारी, प्रतिनिधि और न्यायधीशों पर नागरिको का कोई अंकुश नही रह जाता। अत: भारत में लोकतंत्र का विकृत रूप है, किन्तु लोकतंत्र नहीं है।
इसीलिए शब्द लोकतंत्र की जगह 'सच्चे लोकतंत्र' शब्द का प्रयोग किया गया है। शेष आलेख में 'लोकतंत्र' शब्द से आशय उस व्यवस्था से ग्रहण किया गया है, जिस व्यवस्था में उपरोक्त वर्णित प्रक्रियाएं है, तथा उपरोक्त प्रक्रियाओ से विहीन लोकतंत्र के लिए 'विकृत लोकतंत्र' शब्द का प्रयोग किया गया है।
तानाशाही :
तानाशाही से मेरा आशय उन सभी व्यवस्थाओ से है जिनमें नागरिको के सामान्य अधिकारों का भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निलंबन कर दिया गया हो। यह निलंबन लोकतांत्रिक रूप से चुनकर आये प्रतिनिधियों द्वारा कर दिए जाने से भी तानाशाही की श्रेणी में आता है। उदाहरण के लिए देवी इंदिरा जी ने लोकतांत्रिक रूप से चुनकर आने के बाद आपातकाल लगाकर नागरिको के अधिकारों में कटौती कर दी थी। इस बारे में कैफियत अलग से दी जा सकती है कि उन्होंने ऐसा किन परिस्थितियों में किया, लेकिन आपातकाल लगाने का कृत्य तानाशाही की श्रेणी में आता है।
तानाशाही में उन शासको को भी शामिल किया गया है जिन्हें मजबूत नेता या मौजूदा व्यवस्था के दायरे से बाहर जाकर 'देशहित' में ताबड़तोड़ फैसले लेने के लिए जाना जाता है। इस लिहाज से मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस श्रेणी में नही रखा गया है।
2. तानाशाही के अपने खतरे है जबकि सच्चा लोकतंत्र निरापद है।
मेरे नजरिये में सैन्य ताकत जुटाना किसी देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। क्योंकि किसी देश के सैन्य रूप से आत्मनिर्भर न होने का निश्चित परिणाम यह होगा कि उसे अन्य शक्तिशाली देश द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से गुलाम बना लिया जाएगा। और सैन्य दृष्टी से कमजोर देश द्वारा इस परिस्थिति को टाला नही जा सकता। तो किसी भी देश को यदि गुलामी से बचना है तो उसे ऐसे फैसले लेने या ऐसी व्यवस्था को अंगीकार करने की जरुरत है जिससे देश को सैन्य रूप से मजबूत बनाया जा सके। किन्तु जब कोई देश अपनी सेना को मजबूत करने के प्रयास करता है तो उसे पूरी दुनिया के देशो और आंतरिक स्तर पर भी भीषण प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है। इसीलिए यह कोई इत्तिफ़ाक़ नही है कि सभी तानाशाहों या मजबूत नेताओ ने देश की सेना को मजबूत बनाने के प्रयास किये, लेकिन एक आध अपवाद की अनदेखी करे तो सभी ने मुहँ की खायी।
Answer: હું આ કેવી રીતે જાણું હોત???
আমি এটা কিভাবে জানব ???
Explanation: मुझे इसका उत्तर कैसे पता चलेगा???