Hindi, asked by TheAayush, 1 year ago

लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका (२०० शब्दों का निबंध)

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लोकतन्त्र को जनतन्त्र ही कहते है, क्योंकि जनता के चुनाव के द्वारा ही यह तन्त्र बनता है। इसलिए बिना चुनाव का जो तन्त्र होता है। वह लोकतन्त्र या जनतन्त्र न होकर राजतन्त्र बन जाता है। इस प्रकार से लोकतन्त्र जनता का प्रतिनिधि तन्त्र है। इसमें समस्त जन समुदाय की सद्भावना और सद्विचार प्रकट होता है।

Democracy Loktantra essay in Hindiलोकतन्त्र के अर्थ को स्पष्ट करते हुए महान राजनेता एवं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन, अमेरिका के राष्ट्रपति कैनेडी, जेफर्सन, लार्ड विवरेज, विश्वविद्यालय नाटककार वर्नाड शा, प्रोफेसर लास्की, सुप्रसिद्ध अंग्रेजी विद्वान वर्क आदि ने अलग अलग विचार प्रकट किए हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था- लोकतन्त्र में चुनाव राजनैतिक शिक्षा देने का विश्वविद्यालय है। अब्राहम लिंकन ने लोकतन्त्र का अर्थ – जनता के ही हेतु, जनता द्वारा जनता का शासन बताया है। इस प्रकार से लोकतन्त्र में लोक निष्ठा और लोक भावना का समावेश होता है। इसमें चुनाव का महत्व सर्वप्रथम और सर्वाधिक है। इससे लोक कल्याण प्रकट होता है।

लोकतन्त्र अर्थात् जन प्रतिनिधि एक ऐसा तंत्र है, जिसमें जनकल्याण की भावना से सभी कार्य सम्पन्न किए जाते हैं। जनकल्याण की भावना एक एक करके इस शासन तन्त्र के द्वारा हमारे सामने कार्य रूप में दिखाई पड़ने लगती है। लोकतन्त्र का महत्व इस दृष्टि से भी होता है कि लोकतन्त्र में सबकी भावनाओं का सम्मान होता है और सबको अपनी भावनाओं को स्वतन्त्र रूप से प्रकट करने का पूरा अवसर मिलता है। इसी प्रकार किसी भी तानाशाही का लोकतन्त्र करारा जवाब देता है। लोकतन्त्र का महत्वपूर्ण स्वरूप यह भी होता है कि इस तन्त्र में किसी प्रकार की भेद-भावना, असमानता, विषमता आदि को कोई स्थान नहीं मिलता है। इसके लिए लोकतन्त्र अपने चुनावी मुदों और वायदों के रखते हुए कमर कस करके उन्हें दूर करने की पूरी कोशिश करता है। चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ और उलझनें आ जाएँ, चुनाव की आश्वयकता इनसे अधिक बढ़ कर होती है।

लोकतन्त्र में चुनाव का महत्व इस तथ्य का प्रमाण है कि जनता का मनोभाव कुछ बदल रहा है। वह पूर्वापेक्षा यही करना चाह रहा है। इसलिए लोकतन्त्र में चुनाव का महत्व न तो कोई समय देखता है और इससे होने वाले परिणामों और कुपरिणामों पर ही विचार करता है। हमारे देश में सन् 1976 में लगी हुई आपातकालीन अवधि के फलस्वरूप होने वाले अत्याचारों का प्रबल विरोध करने के लिए जब जनता ने इस आपातकाल के स्थान पर चुनाव की माँग की तो इन्दिरा सरकार को आपातकाल को तुरन्त ही हटा करके चुनाव कराना पड़ा था। इस चुनाव के बाद ही पूरी शासन प्रणाली ही बदल गयी और जनता पार्टी की सरकार का गठन हुआ था। इसने उस समय की दुखी और निराश जनता को विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ और राहत प्रदान करने वाला शासन सूत्र प्रदान किया था।

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लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका (२०० शब्दों का निबंध)

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