Social Sciences, asked by shubham88604856, 4 months ago

लोकतंत्र में निर्णय लेने में देरी क्यों होती है​

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Answered by Sanumarzi21
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लोकतंत्र मतभेदों एवं भेदभाव को सुलझाने की एक विधि देता है। हर समाज में बहुत तरह की सोच एवं विचारों वाले लोग रहते हैं।

यह मतभेद एवं विविधता किसी भी देश को मजबूती प्रदान करते हैं। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोग अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं, अलग-अलग धर्म के मानने वाले हैं तथा विमिन्न जातियों के हैं। एक समूह की महत्वाकांक्षाएँ दूसरे समूह की महत्वाकांक्षाओं से टकराती रहती है। लोकतंत्र ऐसी स्थिति में शांतिपूर्ण समाधान प्रस्तुत करता है। लोकतंत्र में कोई स्थायी विजेता नहीं होता। भारत जैसे देश में जहाँ बहुत विविधता है, लोकतंत्र सबको बांध कर रखता है।

Answered by shishir303
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लोकतंत्र में निर्णय लेने में देरी इसलिए होती है, क्योंकि लोकतंत्र का अर्थ है लोगों का तंत्र।

  • लोगों का तंत्र से तात्पर्य है कि सत्ता किसी एक व्यक्ति के पास नही है। लोकतंत्र किसी एक व्यक्ति पर केंद्रित नहीं होता।
  • लोकतंत्र में शासन व्यवस्था अनेक लोगों के सामूहिक हाथ में सामूहिक रूप से होती है।
  • इसमें विभिन्न विचार वाले व अलग-अलग सोच वाले लोग होते हैं।
  • लोकतंत्र में मतभेदों के कारण कोई भी सार्थक निर्णय पर पहुंचने में समय लगता है।
  • लोकतंंत्र में कोई ऐसा निर्णय लिया जाता है, जिसमें अधिक से अधिक लोगों की सहमति हो।
  • सबकी सहमति बनाने की प्रक्रिया के कारण लोकतंत्र में कोई भी निर्णय लेने में देरी होती है।
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