लोकतंत्र में संचार साधनों की भूमिका कर्मों महत्वपूर्ण है?
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लोकतंत्र में संचार माध्यमों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। बदलते बिगड़ते हालात में समाज को सचेत करने तथा सरकारों पर अंकुश लगाने के लिए वर्तमान में संचार माध्यमों की भूमिका और भी बढ़ गई है। ¨प्रट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बाद सोशल मीडिया का विकास स्वागत योग्य है। यह बात राजस्थान से प्रकाशित पत्रिका'कंचनलता'के संपादक तथा सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.भरत मिश्र'प्राची'ने कही। वे स्थानीय सेक्टर 1 पार्ट 2 स्थित मनुमुक्त भवन में आयोजित चौदहवीं संगोष्ठी में विशिष्ट वक्ता के रूप में बोल रहे थे।
डॉ.मिश्र ने सोशल मीडिया के आए दिन होने वाले दुरुपयोग के खतरों के प्रति आगाह भी किया। इस अवसर पर शिक्षाविद डॉ.जितेंद्र भारद्वाज ने संभागी वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि संचार माध्यम देश और समाज के सजग प्रहरी हैं। अत: उन्हें अपनी भूमिका पूरी जिम्मेदारी और निष्पक्षता के साथ निभानी चाहिए। चीफ ट्रस्टी डॉ.रामनिवास मानव के सानिध्य में आयोजित गोष्ठी में डॉ.जितेंद्र भारद्वाज ने प्रार्थना गीत प्रस्तुत किया। इसके बाद डॉ.पंकज गौड़ के कुशल संचालन में संपन्न हुई इस गोष्ठी में वक्ताओं ने लोकतंत्र में संचार माध्यमों की भूमिका पर प्रकाश डाला। साथ ही जनमानस तैयार करने में मीडिया की भूमिका को अहम बताया। संगोष्ठी में शिवगौड़ शास्त्री ,चेतन प्रकाश गौड़ (महेंद्रगढ़), नगर पार्षद महेंन्द्र गौड़, भाजपा महिला शाखा की जिला प्रधान व नगर पार्षद सरला यादव, रामपत चौहान, पूर्व पोस्ट मास्टर महेंद्र वर्मा, जिला बाल कल्याण अधिकारी विपिन शर्मा, नर नारायण सेवा समिति के प्रधान परमानंद दीवान, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश सचिव धर्मपाल शर्मा, पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी मान¨सह जांगिड़ (श्रीगंगानगर), राधेश्याम गुप्ता (भुवनेश्वर) कृष्ण कुमार शर्मा एडवोकेट, रामगोपाल अग्रवाल एडवोकेट, बलदेव ¨सह चहल, सरदार संतोख ¨सह, डॉ.कांता भारती, जय प्रकाश शर्मा, किशन लाल शर्मा, गजानंद कौशिक, डॉ.कृष्णा आर्य, गीता शर्मा, विमलेश शर्मा, भगवान स्वरूप हरित, जय शेखावत सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे