लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका का वर्णन कीजिए
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संसदीय लोकतंत्र की विशेषता सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दल की पारस्परिक जवाबदेही की प्रणाली और एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण विचार-विमर्श प्रक्रिया में प्रकट होती है।
संसदीय विपक्ष लोकतंत्र के वास्तविक सार के संरक्षण और लोगों की आकांक्षाओं व अपेक्षाओं के प्रकटीकरण में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
किंतु, वर्तमान में भारत का संसदीय विपक्ष न केवल खंडित है, बल्कि अव्यवस्थित या बेतरतीबी का शिकार भी नज़र आता है। ऐसा प्रतीत होता है कि शायद ही हमारे पास कोई विपक्षी दल है, जिसके पास अपने संस्थागत कार्यकलाप के लिये या समग्र रूप से ‘प्रतिपक्ष’ के प्रतिनिधित्व के लिये कोई विजन या रणनीति हो।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत के संसदीय विपक्ष को पुनर्जीवित करना और उसे सशक्त करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है, विशेषकर जब लोकतंत्र का मूल्यांकन करने वाले विभिन्न सूचकांकों में इसकी वैश्विक रैंकिंग में लगातार गिरावट आ रही है।