लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका का वर्णन करो in 3 marks
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लोकतंत्र में विपक्ष के मुख्य कार्य और भूमिका
सारे कार्यों पर निगरानी रखना –
भारत के इस लोकतंत्र में जनता मालिक होती है जिसकी अहम भूमिका होती है। अपनी जरूरतों को पूरा करवाने के लिए जनता अपने प्रतिनिधियों को 5 साल के लिए चुनती है जो जन प्रतिनिधि कहलाते हैं। जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को दो ग्रुपों में बांटा गया है –
1. सत्ताधारी समूह – एक बड़ा ग्रुप होता है जिनमें आधे से ज्यादा लोग फेवर में होते हैं; जिसे सत्ताधारी समूह या दल कहते हैं। ये समूह बहुमत में होने के कारण सरकार बनाता है। इसमें कभी – कभी अलग – अलग समूह के लोग मिलकर बहुमत का आंकड़ा पूरा करते हैं।
इस समूह का बनने वाला नेता केंद्र में प्रधानमंत्री और राज्य में मुख्यमंत्री होता है। इसके अलावा अन्य सरकारी विभागों को चलाने के लिए अलग – अलग मंत्री होते हैं। ये अपने विभाग के जवाबदेही होते हैं और निष्ठापूर्वक सञ्चालन करते हैं।
2. विरोधी समूह – बाकी बचे हुए लोग विरोधी दल में होते हैं। जिसे विरोधी दल कहते हैं। इसमें सारी पार्टियां विपक्षी दल की होती हैं। ये सरकार द्वारा किये गए सारे कार्यों पर निगरानी रखती हैं, आलोचना करती हैं व विरोध करती हैं।
कई बार सरकार ऐसा कार्य करती है जो जनता के हित के लिए नहीं होता है। ऐसे में विपक्ष चुप हो जाता है और यह सरकार का मौन समर्थन कहलाता है। ऐसी स्थिति में विपक्षी दल सरकार का विरोध करती है।
आम जनता की सारी सुख सुविधाओं तथा जरूरतों का ध्यान रखना तथा अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर देश की गरिमा को कायम रखना सरकार की जवाबदेही है। जबकि दूसरी तरफ विपक्ष का काम सरकार के कार्यों का विरोध करना है।
अगर सरकार लोगों के हित के अनुरूप कार्य न करे और उनके अनुरूप फैसला न ले तो विपक्षी को हक़ है कि वे सरकार से बात पर बहस करने की मांग कर सकते हैं। विपक्ष, सरकार के विरुद्ध धरना देकर या प्रदर्शन करके आंदोलन कर सकती है। ऐसा करने पर सरकार को जनता के विरुद्ध लिए गए फैसले को वापस लेने में विवश होना पड़ सकता है।
इसके दूसरी तरफ सरकार को कभी – कभी मजबूरी में जनता के विरुद्ध निर्णय लेना पड़ता है। सरकार की कई मजबूरियां हो सकती हैं। लेकिन विपक्ष की कोई मजबूरी नहीं होती। क्योंकि इन्हे कोई अपनी सत्ता का हाथ से जाने का कोई डर नहीं रहता।
कभी – कभी सरकार भी स्वार्थवश कार्य करती है जिसका विरोध विपक्षी दल करता है। विपक्ष का कार्य हर समय विरोध करना ही नहीं है। जब सरकार जनता के हित के अनुरूप कार्य करती है तो विपक्ष को विरोध करने की बजाय सहायता करनी चाहिए। ऐसा करने से वह एक आदर्श विपक्ष बन सकता है।