लोकतंत्र व विकास एक दूसरे के पूरक हैं,स्पष्ट कीजिए।
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लोकतंत्र (लोकतन्त्र) (संस्कृत: प्रजातन्त्रम् ) (शाब्दिक अर्थ "लोगों का शासन", संस्कृत में लोक, "जनता" तथा तंत्र, "शासन",) या प्रजातंत्र (प्रजातन्त्र) एक ऐसी शासन व्यवस्था और लोकतांत्रिक (लोकतान्त्रिक) राज्य दोनों के लिये प्रयुक्त होता है। यद्यपि लोकतंत्र (लोकतन्त्र) शब्द का प्रयोग राजनीतिक संदर्भ (सन्दर्भ) में किया जाता है, किंतु (किन्तु) (लोकतंत्र) का सिद्धांत (सिद्धान्त) दूसरे समूहों और संगठनों के लिये भी संगत है। मूलतः लोकतंत्र (लोकतन्त्र) भिन्न-भिन्न सिद्धांतों (सिद्धान्तों) के मिश्रण बनाती हैै।
लोकतंत्र (लोकतन्त्र) एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिसके अंतर्गत (अन्तर्गत) जनता अपनी स्वेच्छा से चुनाव में आए हुए किसी भी दल को मत देकर अपना प्रतिनिधि चुन सकती है, तथा उसकी सत्ता बना सकती है। लोकतंत्र (लोकतन्त्र) दो शब्दों से मिलकर बना है ,लोक + तंत्र (तन्त्र) लोक का अर्थ है जनता तथा तंत्र (तन्त्र) का अर्थ है शासन
लोकतन्त्र (लोकतंत्र) के प्रकार
भारत में लोकतंत्र के प्राचीनतम प्रयोग
लोकतंत्र की अवधारणा
लोकतंत्र का पुरातन उदारवादी सिद्धान्त
लोकतंत्र में अधिकारों की महत्वपूर्ण भूमिका
लोकतंत्र का बहुलवादी सिद्धान्त
लोकतंत्र का सहभागिता सिद्धान्त
लोकतंत्र का मार्क्सवादी सिद्धान्त
लोकतंत्र की आवश्यकता
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ