लाखो बार गगरिया फुटी, शिकन न आई पनघट पर, लाखो बार कश्तियाॅ डुबी, चहल पहल वो ही है तट पर, तम की उमर बढाने वालो, लौ की आयु घटाने वालो, लाख करे पतझड़ कोशिश, पर उपवन नही मरा करता, इस पंक्तियो का मुल्य भाव स्पष्ट कीजिए?
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