लाखों बार गगरियाँ फूटी शिकन न आई पनघट पर, लाखों बार कश्तियाँ डूबीं चहल-पहल वो ही है तट पर, तम की उमर बढ़ाने वालो! लौ की आयु घटाने वालो! लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।
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ल वो ही है तट पर, तम की उमर बढ़ाने वालो! लौ की आयु घटाने वालो! लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।
बार कश्तियाँ डूबीं चहल-पहल वो ही है तट पर, तम की उमर बढ़ाने वालो! लौ की आयु घटाने वालो! लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।
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