लिखिए।
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प्र022 तुलसीदास अथवा महादेवी वर्मा की काव्य गत विशेषताऐं निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर लिखिए।
(6) दो रचनाएँ
(1+2+1=4)
(ii) भावपक्ष-कलापक्ष
प
(ii) साहित्य में स्थान
Answers
Answer:
तुलसीदास
रचनाएँ
1. रामचरित मानस ( महाकाव्य )
2. विनय पत्रिका
3. कवितावली
भाव -पक्ष -
1. भक्ति भावना - तुलसीदास राम भक्ति शाखा के प्रतिनिध कवि हैं। उनका सम्पूर्ण काव्य राम की भक्ति भावना से ओत-प्रोत है ।
2. समन्वयवादी दृष्टिकोण - आपके आराध्य राम थे किन्तु आपने सभी देवी देवताओं की स्तुति कर शैव वैष्णवों के मतभेद को दूर किया है ।
3. लोकमंगलकारी एवं लोकरंजक काव्य सृजन - आपकी रचना 'सर्व जन हिताय और सर्व जन सुखाय ' से युक्त है ।
4. रससिध्दता - आपकी रस सिद्ध कवि है । आपके काव्य में श्रृंगार, शांत और वीर रस की त्रिवेणी का अद्भुत संगम है । इसके अतिरिक्त आपकी रचनाओं में करुण, रौद्र, अद्भुत आदि सभी रसों का रसस्वादन किया जा सकता है ।
कला -पक्ष
1. भाषा - आप संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे । आपने अपनी रचनाओं में मुख्यतः अवधी और ब्रज भाषा का प्रयोग किया है । रामचरित मानस अवधी में तथा तथा कवितावली , गीतावली, विनय पत्रिका आदि की रचना ब्रज भाषा में की है। आपकी भाषा सरल,सरस, एवं रोचक है । कहीं -कहीं आपकी रचनाओं में भोजपुरी, बुंदेलखंडी तथा अरबी और फ़ारसी के शब्द भी मिलते हैं ।
2. छंद एवं अलंकार - आपने मुख्यतः दोहा, चौपाई, सवैया छंदों का प्रयोग किया है । दोहा , चौपाई , कवित्त छंद में रामचरित मानस की रचना की । गीतावली , विनयपत्रिका पद शैली में और कवितावली की रचना सवैया में किया । दोहावली की रचना दोहा छंद में की ।
आपकी रचनाओं में अनुप्रास, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों की छटा दृष्टव्य है ।
साहित्य में स्थान -
युगदृष्टा गोस्वामी तुलसीदास जी भक्तिकाल के प्रतिनिधि कवि हैं । भारतीय संस्कृति और सामाजिक मूल्य के कुशल चितेरे, लोकमंगल एवं लोकरंजक काव्य के सर्जक , रामचरित मानस जैसे महान ग्रन्थ के प्रणेता, करुणा के कवि , तुलसीदास जी का साहित्य जगत में अनुपम स्थान है
Explanation:
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