, लेखिका डॉक्टर चंद्रा की कहानी सुनकर दंग क्यों रह गई
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चन्द्रा का निचला धड़ एकदम निर्जीव था, परन्तु वह अपने सारे काम स्वयं करना चाहती थी। उसमें अपंग होने की हीन भावना जरा भी नहीं थी। वह अपनी अपंगता से मुकाबला करती रहती थी और जिन्दगी में प्रत्येक काम बड़े साहस से करती रही। अपनी शारीरिक अक्षमता से ही वह साहस रखकर अपने जीवन को ढालने में सफल रही।
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चन्द्रा का निचला धड़ एकदम निर्जीव था, परन्तु वह अपने सारे काम स्वयं करना चाहती थी। उसमें अपंग होने की हीन भावना जरा भी नहीं थी। वह अपनी अपंगता से मुकाबला करती रहती थी और जिन्दगी में प्रत्येक काम बड़े साहस से करती रही। अपनी शारीरिक अक्षमता से ही वह साहस रखकर अपने जीवन को ढालने में सफल रही।
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