लेखिका हरिशंकर परसाई ने क्यों कहा कि नहीं इस आदमी की अलग-अलग पोशाक नहीं होगी
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बहुत से लोग ऐसा करते हैं कि दैनिक जीवन में साधारण कपड़ों का प्रयोग करते हैं और विशेष अवसरों पर अच्छे कपड़ों का। लेखक हरिशंकर परसाई ने पहले सोचा प्रेमचंद खास मौके पर इतने साधारण हैं तो साधारण मौकों पर ये इससे भी अधिक साधारण होते होंगे। परन्तु फिर लेखक को लगा कि प्रेमचंद का व्यक्तित्व दिखावे की दुनिया से बिलकुल भिन्न हैं क्योंकि वे जैसे भीतर हैं वैसे ही बाहर भी हैं।
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