लेखिका के घर में 'दूधो नहाओ' का आशीर्वाद कैसे फलने लगा?
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गौरा के माँ बनने पर लेखिका के घर मानो दुग्ध महोत्सव आरम्भ हो गया। गौरा प्रातःसायं मिलाकर बारह सेर के लगभग दूध देती थी। उसके बछड़े लालमणि के लिए कई सेर दूध छोड़ देने पर भी इतना अधिक दूध बच जाता था कि आस-पास के बाल-गोपाल से लेकर पालित कुत्ते-बिल्ली एवं अन्य पशु-पक्षियों तक पर माना 'दूधों नहाओ' का आशीर्वाद फलित हो उठा।
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