लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं?
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Heya...
- लेखिका को नीलकंठ का गरदन ऊँची कर देखना, मेघों की साँवली छाया में अपने इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर नाचना, विशेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना और पानी-पीना तथा गरदन टेढ़ी कर शब्द सुनना आदि चेष्टाएँ बहुत भाती थीं।
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नीलकंठ देखने में बहुत सुंदर था | वैसे तो उसकी हर चेष्टा ही अपने -आप में आकर्षक थी लेकिन महादेवी को निम्न चेष्टाएँ अत्यधिक भाती थीं।
1)गर्दन ऊँची करके देखना।
2)विशेष भंगिमा के साथ गर्दन नीची कर दाना चुगना।
3)पानी पीना।
4)गर्दन को टेढ़ी करके शब्द सुनना।
5)मेघों की गर्जन ताल पर उसका इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर तन्मय नृत्य करना।
6)महादेवी के हाथों से हौले-हौले चने उठाकर खाना।
7)महादेवी के सामने पंख फैलाकर खड़े होना।
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